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लॉकडाउन के बीच Mining Area में काट डाले सैकड़ों हरे पेड़, पढ़ें कहां की शिकायत
Last Updated on May 23, 2020 by Deepak
बिलासपुर। लॉकडाउन के बीच खादान क्षेत्र (Mining Area)से सैकड़ों हरे पेड़ काटने का मामला सामने आया है। इसकी शिकायत आदर्श वेल्फेयर सोसाइटी धौनकोठी ने डीसी बिलासपुर (DC Bilaspur) से की है। सोसाइटी के प्रधान रमेश ठाकुर व महासचिव संजीव कुमार ने डीसी को शिकायत पत्र देकर कहा है कि बरमाणा (Barmana) क्षेत्र में सीमेंट कंपनी ने जहां पेड़ काटे हैं, वह क्षेत्र खादान क्षेत्र के सेफ्टी जोन के पास है जहां पर रिहाशी बस्तियां भी हैं तथा यहां पर इन पेड़ों को काटने की कोई आवश्यकता नहीं थी। शिकायत पत्र में कहा है कि इससे पर्यावरण को भारी नुकसान हुआ है और काटे गए पेड़ों में लगभग 530 पेड़ चीड़ के थे। उन्होंने कहा है कि हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट व ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेशों की भी यहां पर सरेआम धज्जियां उड़ाई गई हैं। उन्होंने कहा है कि नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेशानुसार केवल सूखे और टॉप ब्रोकन पेड़ ही काटे जा सकते हैं लेकिन यहां पर हरे.पेड़ों को काटा गया है तथा इसकी इजाजत वन विभाग नहीं दे सकता।
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बड़े घोटाले की जताई आशंका
शिकायत पत्र में आशंका जाहिर की गई है कि इस मामले में बहुत बड़ा घोटाला किया गया है। वन विभाग द्वार मौके की जो फेरिस्त तैयार की है उसमें जो पेड़ों के माप व प्रजाति दर्शाई गई है वह मौके पर काटे गए पेड़ों से बिल्कुल भिन्न है। मौके पर काटे गए पेड़ों के जो अवशेष बचे हैं उनको देखने से सच्चाई का पता स्वत: ही चल जाएगा। उन्होंने कहा है कि पेड़ों के कटान के समय ना तो इसकी वीडियोग्राफी (Videography) करवाई गई और ना ही एक पेड़ की जगह पर अभी तक तीन पेड़ लगाए गए हैं। यह मामला पर्यावरण से जुड़ा है तथा काफी गंभीर है लिहाजा इसकी उच्च स्त्तरीय जांच करवाई जाए और इस मामले में दोषी पाए जाने वाले लोगों के खिलाफ कानून के तहत कार्रवाई की जाए।
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नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल का खटखटाएंगे दरवाजा
मौके से हरे पेड़ काट दिए गए और वन विभाग ने जो लिस्ट काटे गए पेड़ों की बनाई है उसमें इन्हें झाड़ियां व छोटे पेड़ दर्शाया है जोकि एक बहुत बड़े घोटाले की तरफ इशारा कर रहा है। जिला प्रशासन से इस सारे मामले की उच्च स्त्तरीय जांच करवाए जाने की मांग की है। साथ ही चेतावनी दी है कि यदि इस मामले में लीपापोती की गई तो क्षेत्र के लोगों के साथ पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले लोगों के खिलाफ प्रदर्शन करने पर विवश होना पड़ेगा और इसकी सारी जिम्मेदारी जिला प्रशासन की होगी। इसमें ये भी कहा गया है कि इस मामले को लेकर नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (National Green Tribunal) का दरवाजा भी खटखटाया जाएगा।