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भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (आईआईएसईआर) (Indian Institutes of Science Education and Research) भोपाल के शोधकर्ताओं की एक टीम हल्दी के पौधे के जीनोम को अनुक्रमित करने का दावा किया है। उनका कहना है कि दुनिया में यह अपनी तरह का पहला शोध है। इस जीनोम अनुक्रम की मदद से अब इसके गुणों को पहचानकर वैश्विक स्तर पर कई बड़ी बीमारियों का इलाज संभव हो सकेगा।
इस औषधीय पौधे की आनुवंशिक बनावट का पता लगाने के लिए दो तकनीकों का उपयोग किया गया है, जिनमें 10x जीनोमिक्स (क्रोमियम) का लघु-पठन अनुक्रमण और दीर्घ-पठन ऑक्सफोर्ड नैनोपोर अनुक्रमण शामिल हैं। ड्राफ्ट जीनोम असेंबली का आकार 1.02 Gbp था, जिसमें 70% दोहराव वाले अनुक्रम थे और इसमें 50,401 कोडिंग जीन अनुक्रम शामिल थे। यह अध्ययन विकासवादी मार्ग में हल्दी की स्थिति को भी स्पष्ट करता है। शोधकर्ताओं ने 17 पौधों की प्रजातियों में एक तुलनात्मक विकासवादी विश्लेषण किया है। इससे द्वितीयक चयापचय, पादप फाइटोहोर्मोन सिग्नलिंग, और विभिन्न जैविक और अजैविक तनाव सहिष्णुता प्रतिक्रियाओं से जुड़े जीनों के विकासक्रम का पता चलता है।
टीम के अनुसार, दुनिया भर में हर्बल दवाओं में बढ़ती रुचि के साथ, शोधकर्ता जड़ी-बूटियों वाले क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। अब तक केवल कुछ अच्छी तरह से इकट्ठे हर्बल जीनोम का अध्ययन ही किया गया है। आईआईएसईआर भोपाल के जैविक विज्ञान विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर विनीत के शर्मा ने कहा कि हमने दुनिया में पहली बार हल्दी के जीनोम को अनुक्रमित किया है। हल्दी पर केंद्रित 3,000 से ज्यादा अध्ययन प्रकाशित किए जा चुके हैं, लेकिन हमारी टीम के अध्ययन के बाद ही जीनोम अनुक्रम का पता चल पाया है।
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