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वी कुमार/मंडी। बुलंदियों पर पहुंचना हो तो शारीरिक अक्षमता बाधा नहीं बन सकती। इस बात को साबित कर दिखाया है आईआईटी मंडी के स्टूडेंट नितेश कुमार ने। शारीरिक अक्षमता होने के बावजूद भी नितेश आज वर्ल्ड पैरा बैडमिंटन की रैंकिंग में 10वें पायदान पर पहुंच गए हैं।
अब उनका लक्ष्य वर्ल्ड चैंपियनशिप और पैरा ओलंपिक जीतने का है। आईआईटी मंडी में बीटेक फाइनल ईयर के स्टूडेंट नितेश कुमार ने कभी अपनी शारीरिक अक्षमता को कामयाबी की राह में बाधा नहीं बनने दिया। 2009 में एक सड़क दुर्घटना के बाद नितेश की टांग में गंभीर चोट लगी और वह शारीरिक रूप से अक्षम हो गए। लेकिन उन्होंने इसे ही अपनी कामयाबी का जरिया बना लिया।
2009 में सड़क दुर्घटना के बाद आई शारीरिक अक्षमता
मूलतः हरियाणा के चरखी दादरी के रहने वाले 23 वर्षीय नितेश ने कभी बैडमिंटन शौकिया तौर पर खेलते थे। फिर आईआईटी मंडी में उन्हें इसकी कोचिंग मिली। यहां से उनका मनोबल बढ़ा और फिर नितेश ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। सबसे पहले स्टेट लेवल में बाजी मारी और फिर नेशनल लेवल में वर्ल्ड पैरा बैडमिंटन की थर्ड रैंकिंग वाले मनोज सरकार को हराकर ब्रांज मेडल जीता। इसके बाद इंटरनेशनल के लिए क्वालीफाई किया और 2016 में पहली बार इंडोनेशिया ओपन खेला और क्वार्टर फाइनल तक पहुंचे। इसी साल चीन में एशियन चैंपियनशिप खेली और क्वार्टर फाइनल तक पहुंचे। 2017 में भारत में हुई आल इंडिया नेशनल के सिंगल में सिल्वर और डबल में ब्रांज मेडल जीता। जून 2017 को आयरलैंड ओपन खेला और गोल्ड मेडल अपने नाम किया। इसके बाद नेशनल सिंगल और डबल में ब्रांज मेडल जीता। इस वर्ष दुबई इंटरनेशनल खेला और सिंगल के प्री क्वार्टर तक जबकि डबल में सिल्वर मेडल हासिल किया। इसके बाद युगांडा इंटरनेशनल के सिंगल में सिल्वर और डबल में ब्रांज मेडल का खिताब अपने नाम किया। अब नितेश 8 से 13 मई तक टर्की इंटरनेशनल में भाग लेने के लिए जा रहा है। नितेश अभी वर्ल्ड पैरा बैडमिंटन की 10वीं रैंकिंग पर है और अब उसका लक्ष्य एशियन पैरागेम्स तक टॉप 3 रैंकिंग तक पहुंचने का है। वहीं नितेश अगले वर्ष होने वाले पैरा वर्ल्ड चैंपियनशिप और 2020 में होने वाले पैरा ओलंपिक को अपना मुख्य लक्ष्य मानकर तैयारी कर रहे हैं।
आइआइटी से मिल रही कोचिंग, सोच संस्था दे रही विदेश जाने का खर्चा
अभी इसी वर्ष नितेश आयरलैंड ओपन, थाईलैंड इंटरनेशनल और एशियन पैरागेम्स में भाग लेने जा रहा है। नितेश को इस मुकाम तक पहुंचाने में आइआइटी और सोच संस्था का बहुत बड़ा योगदान रहा। आइआइटी से नितेश को प्रॉपर कोचिंग मिली जबकि सोच संस्था ने नितेश की विदेश यात्राओं का सारा खर्च वहन किया और आगे भी कर रही है। सोच संस्था के अध्यक्ष राजा सिंह मल्होत्रा ने बताया कि संस्था ऐसे खिलाड़ियों की मदद के लिए हमेशा तैयार है। उन्होंने बताया कि संस्था के माध्यम से नितेश को जो भी सहायता दी गई, उसके सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि नितेश जिस मुकाम तक पहुंचना चाहते हैं, वहां पर जरूर पहुंचेंगे और संस्था इसमें उसकी हरसंभव मदद करेगी।
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