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Illegal Occupation : शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में अवैध भवनों को नियमित करने के लिए बनाए गए संशोधित कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर अब 22 मई को सुनवाई होगी। उस दिन इस मामले पर अंतिम सुनवाई होगी। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान की खंडपीठ ने हाईकोर्ट के वकील अभिमन्यु राठौर द्वारा दायर जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान यह आदेश दिए। हाईकोर्ट ने इस मामले में प्रदेश सरकार से यह स्पष्ट करने को कहा था कि क्या सरकार ने नियमितीकरण के संशोधित कानून को पास करवाने से पहले विधानसभा पटल पर सुप्रीमकोर्ट व हाईकोर्ट द्वारा समय-समय पर पारित उन आदेशों को भी रखा था, जिनके तहत इस तरह के नियमितीकरण को गैरकानूनी व कानून के राज के विपरीत ठहराया गया है।
मामले के अनुसार इस वर्ष 24 जनवरी को सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर हिमाचल प्रदेश टाउन एन्ड कन्ट्री प्लानिंग (संशोधन) अधिनियम 2016 राजपत्र में प्रकाशित किया। इस कानून को 15 जून 2016 से लागू माना गया। इस कानून को 24 जनवरी 2018 तक प्रभावी भी बनाया गया। इस अधिसूचना के तहत नियमितीकरण के लिये सम्बंधित लोगों को 60 दिनों का समय देते हुए आवेदन आमंत्रित किए गए। यह समय अधिसूचना के राजपत्र में प्रकाशित होने से शुरू हुआ। आवेदन के साथ 1000 की फीस भी मांगी गई थी। इस कानून के तहत आए आवेदनों का निपटारा एक वर्ष के भीतर किया जाना है। इसमें जैसा है, जहां है योजना के तहत भवनों को नियमितीकरण करने की योजना है।
इस पॉलिसी का लाभ लेने वालों को किसी क्वालिफाइड स्ट्रक्चरल इंजीनियर से स्ट्रक्चरल स्टेबिलिटी सर्टिफिकेट आवेदन के साथ लगाना जरूरी किया गया। ग्रीन व हेरिटेज क्षेत्रों में इस कानून को लागू नहीं किया गया। जो भवन इस संशोधित कानून के तहत भी नियमितीकरण के लिए पात्र नहीं होंगे उनके बिजली पानी के कनेक्शन काटने और उन्हें गिराने का प्रावधान भी इसमें बनाया गया है। नियमितीकरण फ़ीस भी 400 से 1000 रुपये प्रति वर्ग मीटर निर्धारित की गई है। अब इस मामले पर अगली सुनवाई 22 मई को होगी।
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