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वॉशिंगटन। हर काम को ऑटोमेटिक बनाने वाली तकनीक सिर्फ भारत की नहीं, बल्कि दुनिया भर की 18 करोड़ महिलाओं की नौकरी छीन सकती है। ऐसा इसलिए, क्योंकि तकनीक पर समझ बनाने और उसे अपनाने के मामले में महिलाएं पुरुषों ने कहीं पीछे रखा गया है। यह चेतावनी अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने मंगलवार को दी।
आईएमएफ और विश्वबैंक के एक नोट में दिए गए नतीजे दिखाते हैं कि अगले दो दशकों में नई तकनीक की वजह से 30 देशों के कुल 5.4 करोड़ श्रमिकों में 10% महिला और पुरुष श्रमिकों की नौकरी पर सबसे ज्यादा खतरा बना रहेगा। इसमें भी ऑटोमेशन की वजह से महिलाओं कामगारों यानी 11% की नौकरियों पर ज्यादा खतरा है। जबकि पुरुषों में यह स्तर 9% है। इससे इन देशों में 2.6 करोड़ महिलाओं की नौकरी जाने का खतरा है।
इसके अलावा कम पढ़ी-लिखी या 40 की उम्र पार कर चुकी ऐसी उम्रदराज महिलाएं जो लिपिकीय कार्य, सेवा क्षेत्र या बिक्री के काम में लगी हैं, ऑटोमेशन से उनकी नौकरी भी जा सकती है।आईएमएफ ने कहा कि उसके विश्लेषण के आंकड़े बताते हैं कि ऑटोमेशन जैसी नई तकनीकों से दुनियाभर में करीब 18 करोड़ महिलाओं की नौकरियां जोखिम में हैं। आईएमएफ ने दुनियाभर के नेताओं से गुजारिश की वह महिलाओं को जरूरी कौशल प्रदान करें। ऊंचे पदों पर लैंगिक अंतर को कम करें, साथ ही कामगारों के लिए डिजिटल अंतर को पाटने के लिए भी काम करें।
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