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पराशर झील पर Lock downका असरः धीमी गति से चलने वाले भूखंड ने पकड़ी रफ्तार
Last Updated on May 4, 2020 by saroj patrwal
मंडी। पूरे विश्व में कोरोना वायरस( Corona virus)के कारण जहां-जहां लॉक डाउन किया गया है वहां पर इसके कई सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं। हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला की बात करें तो हाल ही में रिवालसर की प्राचीन झील साफ होती हुई नजर आई और अब पराशर झील( Parashar lake)के बीच का भूखंड धीमी से तेज गति की तरफ बढ़ता हुआ नजर आ रहा है। मंडी जिला मुख्यालय से करीब 50 किमी दूर स्थित इस झील को पराशर झील के नाम से जाना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यह ऋषि पराशर की तपोस्थली रही है और यहां पर उनका भव्य प्राचीन मंदिर भी मौजूद है। इस झील के बीच एक भूखंड है जो तैरता रहता है। लेकिन बीते कुछ दशकों से यह देखने में आ रहा था कि भूखंड के तैरने की गति काफी धीमी हो गई थी। वर्ष में एक या फिर दो बार ही यह भूखंड तैरता हुआ अपना स्थान बदलता था। लेकिन अब लॉक डाउन के बाद इस भूखंड की गति काफी ज्यादा बढ़ गई है।
पराशर ऋषि मंदिर के मुख्य पुजारी अमर सिंह की माने तो यह भूखंड दिन में दो से तीन बार पूरी झील का चक्कर लगा रहा है। कई लोगों ने इस भूखंड के अलग-अलग स्थान पर होने की तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर शेयर की है। हालांकि लॉक डाउन के चलते अधिकतर लोग इस चमत्कार को देखने वहां नहीं पहुंच पा रहे हैं। यही कारण भी माना जा रहा है कि लोगों का यहां हस्तक्षेप कम होने के कारण ही यह भूखंड अधिक गतिमान हो गया है। वहीं मंदिर कमेटी के प्रधान बलवीर ठाकुर दावा करते हैं कि यह टापू दैविक शक्ति द्वारा संचालित होता है। बलवीर ठाकुर का कहना है कि सामाजिक मान्यता व आस्था के अनुसार इसका चलना तथा रूकना एक अच्छे व बूरे समय का संकेत माना जाता है। अगर भूखंड गतिमान हुआ है तो इससे भविष्य में समाज को शुभ संकेत मिलने की उम्मीद है। डीएफओ मंडी एसएस कश्यप की माने तो पृथ्वी और चंद्रमा की ग्रेविटी के आधार पर ये सब संभव है। उनका कहना है कि आजकल बायोटिक कंपोनैंट कम हुए हैं जिससे बहुत सारे बदलाव हमने इन दिनों में देखे हैं। जहां मानवीय दखल ज्यादा बढ़ गया था वहां अब प्रकृति में भी कई बदलाव आए हैं। ये पर्यावरण के लिए अच्छे संकेत हैं।