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Bhunda MahaYagya में देवता के गुर सूरत राम ने मौत की घाटी को किया पार-Video
Bhunda Mahayagya: हिमाचल प्रदेश के शिमला के रोहड़ू की स्पैल घाटी के दलगांव में चल रहे भुंडा महायज्ञ (Bhunda MahaYagya) में आज अहम बेड़ा की रस्म के साक्षी लाखों लोग बने। महायज्ञ में आकर्षण का केंद्र बेड़ा की रस्म में देवता के गुर सूरत राम ने मौत की घाटी को घास से बनी दिव्य रस्सी से पार किया। चालीस साल बाद बेड़ा सूरत राम ने सफेद कफन बांधकर पवित्र घास से बनी रस्सी पर बैठकर खाई को देवता बकरालू के आशीर्वाद से एक से दूसरे छोर तक सकुशल पार किया। जैसे-जैसे उनके रस्से पर डालने की प्रक्रिया पूरी हुई, वाद्य यंत्रों में बज रही पारंपरिक संगीत की धुनें शोक में परिवर्तित हो गईं । आयोजन स्थल देवता के जयकारों से गूंज उठा। शनिवार को इस महायज्ञ में हजारों लोगों के सामने बेड़ा आरोहण सकुशल संपन्न हो गया। प्रशासन की ओर से जैड़ी(रस्सी) की सुरक्षा को लेकर पुख्ता इंतजाम किए गए थे। बेड़ा की रस्म शाम 5:42 बजे शुरू हुई। करीब तीन मिनट के भीतर सूरत राम सकुशल दूसरे छोर पर पहुंच गए। हालांकि जब दो पहाड़ियों के बीच यह रस्सी लगाई जा रही थी तो इस दौरान रस्सी टूट गई। मगर बाद में स्थानीय लोगों ने इसे बांध दिया। सूरत राम ने बेड़ा बनकर रस्सी के सहारे मौत की घाटी को पार किया। जिस वक्त सूरत राम ने मौत की घाटी को पार किया देखने वाले लाखों लोगों की सांसें थम गई। लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह व कांग्रेस सांसद प्रतिभा सिंह इस अवसर पर मौजूद रहे।
पंचरत्न को लेने के लिए श्रद्धालुओं में होड़ लगी
ऊपर वाले छोर पर सूरत राम और नीचे दूसरे छोर में उसका पूरा परिवार था। काफी देर तक पूजा-अर्चना हुई। ठीक शाम पौने छह बजे सूरत राम को सकुशल रस्से के सहारे नीचे उतारा गया। नीचे पहुंचते ही उसके माथे पर बंधे पंचरत्न को लेने के लिए श्रद्धालुओं में होड़ मच गई। लोगों ने नीचे पंहुचने पर बेड़ा को देवता की पालकी पर बिठाकर नाचते हुए मंदिर परिसर तक पहुंचाया।। इस तरह हजारों लोगों की मौजूदगी में सूरत राम ने चंद पलों में कई सालों से तैयार की गई आस्था की खाई को सकुशल पार किया। हालांकि, प्रशासन की ओर से उसकी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे।
दूसरी बार मौका मिला बेड़े की भूमिका निभाने का
बकरालू महाराज के मंदिर में आयोजित हो रहे भुंडा महायज्ञ में बेड़ा सूरत राम को बेड़े की भूमिका निभाने का दूसरी बार मौका मिला। 1985 में बकरालू महाराज के मंदिर में इससे पहले भुंडा यज्ञ हुआ था उस दौरान भी सूरत राम 21 साल के थे और उन्होंने ही उस दौरान भी बेड़े की भूमिका निभाई थी। हिमाचल में अलग अलग स्थानों पर होने वाले भुंडा महायज्ञों में सूरत राम अब तक आठ बार बेड़ा की भूमिका निभा चुके हैं।
हजारों की संख्या में खुंद पहुंचे
भुंडा महायज्ञ में मेहमान देवता बौंद्रा, देवता मोहरिश, देवता महेश्वर गांव के साथ अलग अलग तंबुओं में हजारों की संख्या में खुंद के साथ ठहरे हैं। इस महायज्ञ के लिए रोहडू के आसपास के इलाकों में 2 हजार से अधिक तलवारों की बिक्री हुई है। इस मेले में लोग हथियार के साथ आते हैं। रोहडू की स्पैल वैली के भमनाला, करालश, खोड़सू, दयारमोली, बश्टाड़ी, गावणा, बठारा, कुटाड़ा, खशकंडी, दलगांव और भेटली गांवों में 1500 के करीब परिवार मेजबान बने । क्षेत्र के लोग तीन सालों से इसकी तैयारियों में जुटे थे।