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भारत बहुत बड़ा देश है,जहां अलग-अलग राज्यों की कई मिसाल देने वाली कहानियां-किस्से सामने आते हैं। आज हम बात करेंगे मध्यप्रदेश के कटनी जिला की (Katni district of Madhya pradesh)। यहां के एक अध्यापक (Teacher) ऐसे हैं जो अध्यापन का काम बालिकाओं के पूजन के बाद ही शुरू करते हैं। ये परंपरा वह पिछले 23 साल से निभाते आ रहे हैं। यहां तक कि कोरोना काल में जब स्कूल बंद चल रहे थे तो मोहल्ला क्लास (Mohalla class) में भी वह कन्या पूजन करना नहीं भूले।
कटनी जिले के लोहरवाड़ा में प्राथमिक पाठशाला (Primary School in Loharwara) है। यहां पढ़ने आने वाली बालिकाओं का शिक्षक भैया लाल सोनी (Bhaiya Lal Soni) प्रार्थना से पहले उनके पैरों को गंगा जल से धोते हैं और पूजन करने के बाद ही अध्यापन का कार्य शुरू करते हैं। भैया लाल सोनी ने एक पवित्र सोच के साथ नमामि जननी अभियान की शुरुआत की थी। इस अभियान का मकसद बच्चियों और महिलाओं का सम्मान है। नियमित तौर पर प्रार्थना से पहले बालिकाओं के पैर गंगाजल (Gangajal) से धोए जाते हैं और नवरात्र में बालिकाओं का जिस तरह से पूजन होता है, वैसा ही पूजन नियमित तौर पर किया जाता है।
सोनी का कहना है कि यह प्रेरणा तो उन्हें परिवार से मिली। वहीं यह भी दिखा कि महिलाओं को समाज में वह स्थान नहीं मिलता जिसकी वे हकदार हैं, उनसे हमेशा भेदभाव किया जाता है। लोगों की सोच बदले इसे ध्यान में रखकर यह कार्यक्रम शुरू किया। तय किया है कि जीवन भर बेटियों का सम्मान करुंगा, ताकि लोगों में नैतिकता का वातावरण निर्मित हो और जो अनैतिक कार्य होते है उन पर रोक भी लगेगी। पाठशाला में रोजाना प्रार्थना (Prayer) के पहले यहां का नजारा अलग होता है, बालिकाओं का पूजन (Worshipped) किया जाता है। इसकी हर कोई सराहना करता है।
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