- Advertisement -
शिमला। प्रदेश के शेष ज़िलों में भी जैव विविधता अधिनियम, 2002 लागू किया जाएगा, ताकि सभी ग्राम पंचायतों को इसका लाभ मिल सके। यह बात मुख्य सचिव वीसी फारका ने कही। वह आज यहां राज्य विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं पर्यावरण परिषद के अंतर्गत हिमाचल प्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड (एचपीएसबीबी) द्वारा आयोजित एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता कर रहे थे। कार्यशाला का विषय ‘जैव विविधता को मुख्यधारा में लाना लोगों और उनकी आजीविका को कायम रखना था। फारका ने कहा कि प्रदेश में जैव विविधता बोर्ड का गठन वर्ष, 2005 में किया गया था तथा प्रथम चरण में इसे चंबा, कुल्लू, सिरमौर तथा शिमला जिलों में लागू किया गया। अधिनियम के तहत संरक्षण तथा जैव स्त्रोतों के सत्त प्रयोग से मिलने वाले लाभ पंचायतों के हितधारकों को प्रदान किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश में जैव विविधता रजिस्टर तैयार करने का कार्य शुरू हो चुका है, जो स्थानीय जैव विविधता तथा पारंपरिक ज्ञान से संबंधित दस्तावेज होगा। इससे स्थानीय लोगों के अधिकारों की रक्षा करने में सहायता मिलेगी। जैव विविधता प्रबंधन समिति पंचायत स्तर पर गठित की जाएगी, जो राज्य विविधता बोर्ड की तकनीकी सहायता से जैव विविधता रजिस्टर तैयार करने कार्य करेगी। मुख्य सचिव ने जनसंख्या, पशुओं की संख्या में बढ़ोतरी तथा वनों में आग की बढ़ती घटनाओं से उत्पन्न जैव विविधता के असंतुलन पर चिंता जाहिर की।
उन्होंने कहा कि किसान रसायनिक खादों तथा कीटनाशकों का अत्याधिक प्रयोग कर रहे हैं। उन्होंने सभी पंचायतों से 15 मार्च, 2017 तक जैव विविधता प्रबंधन समितियां गठित करने का आग्रह किया, ताकि जैव विविधता रजिस्टर को प्राथमिकता के आधार पर तैयार किया जा सके।
प्रधान सचिव (पर्यावरण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी) तरूण कपूर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में समृद्ध जैव विविधता है तथा दवाइयों के उत्पादन के लिए विभिन्न नामी कंपनियां यहां से जड़ी-बूटियां प्राप्त कर रही है। प्रदेश में जैव विविधता के संरक्षण तथा विकास की आवश्यकता पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि अगर अधिनियम उपयुक्त ढंग से लागू किया जाए, तो पंचायतों को बहुत लाभ मिलेगा।
- Advertisement -