-
Advertisement
First Hand: हिमाचल के इस गांव में अगले 15 दिन तक ना कोई बाल कटवाएगा और ना ही नाखून
Last Updated on April 28, 2021 by saroj patrwal
कुल्लू। कोरोना के प्रकोप के बीच हिमाचल (Himachal) के एक गांव में अगले 15 दिनों तक 150 परिवार खेतों में काम नहीं करेंगे। यही नहीं गांव में ना ही तो गूंजेगी ऊंची आवाज ना ही कोई नाखून व बाल (No Nails or Haircut) कटवाएगा। ऐसा इसलिए हो रहा है, क्योंकि गांव में देवता कैला वीर (Kaila Veer) के नए छत्र व मोहरों का निर्माण हो रहा है। ये 22 वर्षों के बाद हुआ है कि देव (God) आज्ञा से मोहरें बनाए जा रहे हैं।जनमानस में कौतूहल पैदा करने वाली देवभूमि कुल्लू की देव परंपरा (Devil Tradition of Kullu) एक बार फिर से चमत्कार करने जा रही है। यहां एक साथ कई गांवों के बाशिंदे देव परंपरा की निर्वहन करने जा रहे हैं। इस दौरान वे ना तो नाखून काटेंगे और ना ही बाल। साथ ही गांव में ऊंची आवाज व जोर से रेडियो, टीवी चलाने की भी मनाही है।
यह भी पढ़ें: Himachal की इस पंचायत में विकास कार्यों के नाम पर 17 लाख का घोटाला, SDM करेंगे जांच
इस परंपरा को कुल्लू जिला की लगघाटी (Lagghati in Kullu district) के तारापुर कोठी के अंतर्गत भूमतीर पंचायत के तहत जियानी नामक (Jiyani under Bhumtir Panchayat) स्थान पर निभाया जा रहा है। यहां के आराध्य देवता वीर कैला के छत्र व मोहरों का निर्माण किया जा रहा है। ऐसे में जब तक कार्य मुकम्मल नहीं होता है, तब तक यहां के लोग देव परंपरा का निर्वाह करेंगे। फिलहाल देव कारकूनों (Dev Kakunas) के अनुसार इसकी अवधि 15 दिन निर्धारित की गई है। करीब 22 वर्षों के बाद देवता के छत्र व मोहरों का निर्माण किया जा रहा है। बंजार घाटी के सुनार देवता (Goldsmiths of Banjar Valley) के छत्र व मोहरों को बनाने में जुट गए हैं। इस दौरान देव कार्य में जुटे सभी लोग एक समय का ही भोजन करेंगे। स्थानीय बोली में इसे घाट कहा जाता है। जब मोहरों व छत्र का निर्माण होता है तो इसे घाट कहा जाता है। इसके बाद देवता का रथ भी तैयार किया जाएगा। कार्य पूर्ण होने पर देवता की ओर से अपने हारियानों के लिए एक भोज का भी आयोजन किया जाएगा।