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हमारे वैदिक शास्त्रों में ॐ को एक पवित्र शब्द माना गया है। ॐ एक पवित्र ध्वनि तो है ही लेकिन इसके साथ ही यह अनंत शक्ति का भी प्रतीक है, ॐ यानि ओउम का शब्द तीन अक्षरों से मिलकर बना है. ये शब्द हैं अ उ म. “अ” का अर्थ है आविर्भाव या उत्पन्न होना, पैदा होना, “उ” का उठना, उड़ना या विकास और “म” का मतलब होता है मौन धारण कर लेना यानि अपने आप को ब्रह्म में लीन कर देना अर्थात ब्रह्म में खो जाना. ॐ से ही सारे संसार की उत्पति हुई है और ॐ ही सारी स्रष्टि का पालनहार है. धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष ये चारों पुरुषार्थ हमें ॐ से ही मिले हैं।
ॐ का जाप बहुत अधिक महत्व रखता है। अनेक साधकों ने ॐ के जाप द्वारा अपने लक्ष्यों को प्राप्त किया है।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. दयानन्द शास्त्री के अनुसार गोपथ ब्रहामण ग्रंथ में बताया गया है की जो भी व्यक्ति कुश के आसन पर बैठ कर पूर्व दिशा की तरफ मुंह करके एक हजार बार ॐ का जाप करेगा उसके सभी काम आसानी से पूरे हो जाते हैं।
सुबह उठकर नित्य कर्म से निवर्त हो जायें और उसके बाद ॐ का जाप करें. पद्मासन, अर्धपद्मासन, सुखासन और वज्रासन की अवस्था में बैठकर ॐ का उच्चारण करें. 5 से 21 बार ॐ का उच्चारण करे। ॐ का उच्चारण तेज बोलकर भी कर सकते हें और धीरे- धीरे बोलकर भी कर सकते हैं। माला द्वारा भी ॐ का जाप कर सकते हैं. ॐ का उच्चारण करने से बहुत अधिक शान्ति और उर्जा प्राप्त होती है. ॐ का उच्चारण करने से हमें कई शारीरिक लाभ मिलते हैं जैसे…
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