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साबरकांठा। हमारे देश में अभी तक लिव-इन रिलेशनशिप का कॉन्सेप्ट अभी तक पूरी तरह आया नहीं है, अगर आप ऐसा सोचते हैं तो बिल्कुल गलत है। हमारे देश में एक ऐसा गांव है जहां आज से नहीं बल्कि बरसों से लोग लिव-इन रिलेशनशिप (live-in relationship) में रह रहे हैं और यहां के लोग इसे गलत भी नहीं मानते हैं। कई साल बाद ये जोड़े शादी करते हैं। कभी-कभी 40 या 50 साल तक हो जाते हैं।
गुजरात (Gujarat) के साबरकांठा जिले में रहने वाले डूंगरी गरसिया भील के आदिवासी समुदाय में ये लिव-इन रिलेशनशिप की परंपरा (tradition) है। इस समुदाय के लोग साथ रहने और बच्चे पैदा करने को गलत नहीं मानते हैं। दोनों परिवारों के आशीर्वाद के साथ दशकों बाद अक्सर यहां शादियां होती हैं। हाल ही में पोशीना तालुका स्थित लंबडिया में जब गमनाभाई सोलंकी ने बंजरी देवी से शादी के लिए हाथ मांगा तो उनके साथ बेटे-बेटियां और नाती-पोते भी थे। यह शादी समान्य विवाह से एकदम अलग थी। गमनाभाई 75 साल के हैं और बंजरी देवी 72 वर्ष की। ये दोनों बच्चे होने के तकरीबन पांच दशक बाद शादी कर रहे हैं। ये दोनों बिना शादी किए अब तक लिव-इन में रह रहे थे।
दरअसल इस समुदाय (Community) के ज्यादातर लोग खेतों में मजदूरी का काम करते हैं, ऐसे में इतनी बड़ी रकम जुटाना संभव नहीं हो पाता है। इसकी वजह से पैसा बचाने के लिए कई वर्ष लग जाते हैं। पैसा इकट्ठा करने के बाद ही लोगों के खाने की व्यवस्था और रीति-रिवाज संपन्न हो पाते हैं। साबरकांठा में यह बहुत सामान्य बात है यहां पर सारी शादियां प्रेम विवाह ही हैं। समुदाय की दृढ़ भावना के चलते किसी प्रकार के विवाद की भी कोई संभावना नहीं है। कई परिवारों के लिए शादी का वक्त मई-जून में आता है जब वह अपने खेत में उगाए अनाज को बेचते हैं। यदि कार्यक्रम के लिए पर्याप्त धन होता है तो शादी भी उसी वक्त तय हो जाती है। पैसे का इंतजाम होने के साथ ही परिवारवालों को कार्यक्रम से पांच-छह दिन पहले ही सूचना दे दी जाती है।
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