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नई दिल्ली। भारत ने रीजनल कंप्रेहेंसिव इकनॉमिक पार्टनरशिप (RCEP) में शामिल होने से इंकार कर दिया है। घरेलू उद्योगों (Domestic industries) के हित में केंद्र सरकार (central government) ने ऐसा करने का फैसला लिया है। बता दें, अगर भारत आरसीईपी (RCEP) की इस सूची में शामिल हो जाता तो इससे ट्रेड एग्रीमेंट के जरिए सदस्य देशों को दूसरे देशों के साथ व्यापार की सहूलियत मिलती, लेकिन इससे निर्यात पर लगने वाला टैक्स नहीं देना पड़ेगा या तो बहुत कम देना होगा। इसमें आसियान के 10 देशों के साथ अन्य 6 देश हैं। लेकिन भारत ने किसान इसका विरोध कर रहे थे, क्योंकि अगर भारत इसमें शामिल होता तो इसका सीधा असर उनके काम पर पड़ता।
किसानों ने जताया था विरोध
बता दें, RCEP में भारत के शामिल होने के खिलाफ किसान देशभर में विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। खासकर किसान संगठनों कड़ी आपत्ति जता रहे थे। किसानों का कहना है कि ये संधि होती है तो देश के एक तिहाई बाजार पर न्यूजीलैंड, अमेरिका और यूरोपीय देशों का कब्जा हो जाएगा और भारत के किसानों को इनके उत्पाद का जो मूल्य मिल रहा है, उसमें गिरावट आ जाएगी।
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि अगर भारत आरसीईपी की संधि में शामिल होता है तो देश के कृषि क्षेत्र पर बहुत बुरा असर पड़ेगा। इतना ही नहीं भारत का डेयरी उद्योग पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगा। समिति के संजोयक वीएम सिंह का कहना है कि मौजूदा समय छोटे किसानों की आय का एकमात्र साधन दूध उत्पादन ही बचा हुआ है, ऐसे में अगर सरकार ने आरसीईपी समझौता किया तो डेयरी उद्योग पूरी तरह से तबाह हो जायेगा और 80 फीसदी किसान बेरोजगार हो जाएंगे।
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