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विवादित नक्शे पर बोला भारत: Nepal का नया Map ऐतिहासिक तथ्य और सबूतों पर आधारित नहीं
Last Updated on June 13, 2020 by Deepak
नई दिल्ली। नेपाल (Nepal) की संसद के निचले सदन ने शनिवार को अपने नए मानचित्र (Map) में भारतीय क्षेत्र लिम्पियाधुरा, लिपुलेख, कालापानी को शामिल करने के लिए संशोधन बिल पास कर दिया। जिसके बाद अब इस मसले को लेकर भारत (India) का भी बयान सामने आया है। भारत के विदेश मंत्रालय की ओर से इस मसले पर बयान जारी कर कहा गया है कि हमने नोट किया है कि नेपाल की प्रतिनिधि सभा ने भारतीय क्षेत्र को शामिल करने के लिए नेपाल के नक्शे को बदलने के लिए एक संविधान संशोधन बिल पारित किया है। हमने इस मामले पर अपनी स्थिति पहले ही स्पष्ट कर दी है।
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सीमाओं को लेकर जो बातचीत चल रही थी, यह उसका उल्लंघन है
विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रतिनिधि अनुराग श्रीवास्तव ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि नेपाल की ओर से नक्शे में जो दावा किया है वह ऐतिहासिक तथ्य या सबूतों पर आधारित नहीं है। ऐसे में इसका कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा कि नेपाल और भारत के बीच अन्य सीमाओं (Border) को लेकर जो बातचीत चल रही थी, यह उसका भी उल्लंघन है। बता दें कि इससे पहले जब नेपाल ने नया मानचित्र जारी किया था तब भारत ने कहा था, ‘यह एकतरफा कदम ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित नहीं, नेपाल का इस तरह मानचित्र में बदलाव स्वीकार्य नहीं होगा।’ गौरतलब है कि भारत और नेपाल में सीमा विवाद के कारण रिश्ते तनावपूर्ण चल रहे हैं।
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नेपाली पीएम ने कहा था- अपनी ज़मीन वापस लेकर रहेंगे
भारत ने लिपुलेख से धारचूला तक सड़क बनाई है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 8 मई को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इसका उद्घाटन किया था। इसके बाद ही नेपाल की सरकार ने विरोध जताते हुए 18 मई को नया नक्शा जारी किया था, जिस पर भारत ने आपत्ति जताई थी। उस समय भारत की तरफ से कहा गया था कि यह ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित नहीं है। हाल ही में भारत के सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने चीन का नाम लिए बिना कहा था कि नेपाल ने ऐसा किसी और के कहने पर किया। जिस पर नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली ने भारत पर अवैध कब्ज़े का आरोप लगाते हुए दावा किया था कि वो अपनी ज़मीन वापस लेकर रहेंगे।