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Army Permanent commission : आर्मी में भारत और दुनिया में क्या है महिलाओं की स्थिति
Last Updated on March 28, 2021 by Sintu Kumar
महिलाओं को भारतीय सेना (Indian Army) यानी थल सेना में स्थायी कमीशन (Permanent commission) मिलने का रास्ता साफ हो चुका है। हालांकि महिलाओं ने स्थायी कमीशन पाने के लिए लंबी लड़ाई लड़ी है। आपको बता दें कि 17 साल लंबी कानूनी लड़ाई के बाद थलसेना (Army) में महिलाओं के स्थायी कमीशन का रास्ता साफ हुआ था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद थल सेना में महिलाओं को स्थायी कमीशन (commission) नहीं दिया गया। इसके बाद 17 महिला अधिकारियों द्वारा एक याचिका सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में दायर की गई। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने एक महीने के भीतर महिला अधिकारियों को दो महीने के भीतर स्थायी कमीशन (Permanent commission) देने का आदेश दिया है। ऐसे में इस खबर में हम बात करेंगे विदेशों देशों की सेनाओं में महिलाओं की स्थिति पर।
एक अच्छी बात यह है कि भारत में महिलाएं अर्धसैनिक और सशस्त्र बलों (Paramilitary and Armed Forces) में शामिल हो रही हैं। हाल ही में असम राइफल्स में करीब 200 महिलाएं बतौर राइफल वूमन शामिल हुईं हैं। उधर, दुनिया के सबसे ताकतवर देश अमेरिका की बात करें तो यहां अमेरिकी (America) सेना में पहले महिलाएं सिर्फ गैर युद्धक भूमिकाओं में ही काम करती थीं, लेकिन 2016 में अमेरिकी सरकार ने पेंटागन के प्रतिबंध (Restriction) को खत्म कर दिया। इसके बाद महिलाओं को युद्ध मोर्चे पर भी काम करने की इजाजत दी गई। महिलाओं को युद्ध मोर्चे पर जाने की इजाजत मिलने के तीन साल के अंदर करीब 2906 महिला सैनिकों को स्थलीय युद्धों में अहम पद भी दिया गया।
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कनाडा, इजराइल और डेनमार्क (Canada-Israel-Denmark) जैसे देशों की बात करें तो इन तीनों ही देशों ने 80 के दशक के मध्य से अंत में ही सेनाओं में महिलाओं (Women) को लड़ाकू भूमिका में तैनाती दे दी गई थी। कनाडा ने 1989 में, इजराइल (Israel) ने 1985 में और डेनमार्क ने 1988 में यह पहल की थी। इसके अलावा इजराइल में महिलाओं को दो साल मिलिट्री (Military) में काम करना अनिवार्य किया गया है। ब्रिटेन (Britain) ने भी 2018 में सेना ने महिलाओं के अग्रणी युद्ध मोर्चे (War Front) पर सेवाएं देने पर लगाया प्रतिबंध हटा लिया था। इसके साथ ही महिलाओं को एलीट स्पेशल फोर्स (Special Force) में काम करने का भी अधिकार दिया गया था। नॉर्वे (Norway) ने भी 1980 के मध्य में महिलाओं को पूरी तरह लड़ाकू भूमिका निभाने की इजाजत दी थी। इसके अलावा रूस (Russia) की बात करें तो यहां सेना में महिलाओं की संख्या 10 फीसदी से कम है।
भारत में क्या है सेना में महिलाओं की स्थिति
आपको बता दें कि भारत में 1950 में बने आर्मी एक्ट (Indian Army Act) में महिलाओं को सेना की स्थायी सेवा के लिए अयोग्य बताया गया था। हालांकि 42 साल बाद सरकार ने महिलाओं को पांच शाखाओं में अधिकारी बनाने की अधिसूचना जरूर जारी कर दी थी। 1992 जनवरी में महिलाओं (Women) को सेना में अधिकारी बनाया गया। इसके बाद 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने भी महिलाओं के सेना में स्थायी कमीशन (Permanent commission) देने का आदेश दिया। शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत 14 साल या उससे ज्यादा सेवाएं दे चुकी महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन (Permanent commission) का मौका दिया जाएगा।