-
Advertisement

भारतीय फिल्म #The_Disciple ने वेनिस फिल्म फेस्टिवल में बेस्ट स्क्रीनप्ले अवॉर्ड जीता
Last Updated on September 13, 2020 by Deepak
नई दिल्ली। भारतीय फिल्ममेकर चैतन्य तम्हाने की फिल्म ‘द डिसाइपल’ (The Disciple) ने 77वें वेनिस फिल्म फेस्टिवल (Venice Film Festival) में बेस्ट स्क्रीनप्ले का अवॉर्ड (FIPRESCI Award) जीता है। चैतन्य ने कहा, ‘इस फिल्म को लिखना मेरे लिए अब तक का सबसे चुनौतीपूर्ण और पीड़ादायक प्रयास था।’ इससे पहले ‘द डिसाइपल’ को इसी फेस्टिवल में इंटरनैशनल फेडरेशन ऑफ फिल्म क्रिटिक्स द्वारा ‘इंटरनैशनल क्रिटिक्स अवॉर्ड’ से सम्मानित किया गया था।
रिसर्च, फिल्मिंग और एडिटिंग में 4 साल लगे
ख़ास बात है कि 19 साल बाद किसी भारतीय फ़िल्म ने इस वैश्विक फ़िल्म फेस्टिवल में एंट्री मारी। इसकी जीत अपने आप में भारतीय सिनेमा के लिए एक बड़ा कदम है। वेनिस फ़िल्म फेस्टिवल में अवॉर्ड जीतने वाली फ़िल्म मराठी भाषा में बनी है। फ़िल्म को लिखने और निर्देशित करने का काम चैतन्य ने किया है। कहानी में भारतीय शास्त्रीय संगीतकारों की दुनिया में सफलता क्या होती है, इसे दिखाया गया है। चैतन्य ने द डिसाइपल की रिसर्च, फिल्मिंग और एडिटिंग में 4 साल लगाए थे।
यह भी पढ़ें: BMC ने लिस्ट जारी कर बताया कि कंगना के फ्लैट में है कितना अवैध निर्माण; आप भी जानें
बता दें कि वेनिस फिल्म फेस्टिवल में 1937 में पहली बार भारतीय फिल्म संत तुकाराम ने सुर्खियां बटोरी थी। इस फिल्म को दुनिया की 3 बेहतरीन फिल्मों में गिना गया था। इसके 20 साल बाद 1957 में पहली बार भारत की फिल्म अपाजितो ने इस प्रतियोगिता में गोल्डन लॉयन अवॉर्ड जीता था। इस फिल्म ने जापान के पॉप्युलर डायरेक्टर अकीरा कुरोसावा की फिल्म थ्रॉन ऑफ ब्लड को हरा कर जीत हासिल की थी। इसके बाद 44 साल बाद मीरा नायर की फिल्म मॉनसून वेडिंग के जरिए भारत ने फिर द गोल्डन लॉयन अवॉर्ड जीता। इस बार पूरी दुनिया से कुल 18 फ़िल्मों को एंट्री मिली। इसमें एक मात्र इंडियन फ़िल्म है।