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बिना बिजली के हो सकेगा Covid-19 टेस्ट: भारतीय शोधकर्ता की टीम ने बनाया सस्ता, विद्युत रहित सेंट्रीफ्यूज
Last Updated on July 5, 2020 by
नई दिल्ली। भारतीय वैज्ञानिक के नेतृत्व में शोधकर्ताओं की टीम को कोरोना टेस्ट (Corona Test) के लिए सस्ती और बिना बिजली के चलने वाली डिवाइस ‘हैंडीफ्यूज’ (Handyfuse) को बनाने में सफलता मिली है। बतौर रिपोर्ट्स स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता मनु प्रकाश (भारतीय) की टीम ने सस्ता और विद्युत रहित सेंट्रीफ्यूज बनाया है जो कोविड-19 टेस्ट के लिए मरीज़ की लार के नमूनों से घटकों को अलग करता है। बिना बिजली ‘हैंडीफ्यूज’ डिवाइस ट्यूब में रखे नमूनों को तेज़ गति से घुमाता है जो लार के नमूने से वायरस जीनोम को अलग करने में सक्षम है।
इस अध्ययन की अभी विशेषज्ञों द्वारा समीक्षा नहीं हुई है
इस खोज से दुनिया के गरीब क्षेत्रों में कोविड-19 के निदान की पहुंच बढ़ सकती है। इस बारे में मनु प्रकाश समेत वैज्ञानिकों का कहना है कि ‘हैंडीफ्यूज’ उपकरण ट्यूब में रखे नमूनों को बेहद तेज गति से घुमाता है जो मरीज के लार के नमूने से वायरस के जीनोम (जीन के समूह) को अलग करने के लिये पर्याप्त है वह भी बिना विद्युत के। मेडरिक्सिव नाम के डिजिटल मंच पर प्रकाशित इस अध्ययन की अभी विशेषज्ञों द्वारा समीक्षा नहीं हुई है लेकिन शोधकर्ताओं का कहना है कि सस्ते सेंट्रीफ्यूज को पहले से उपलब्ध घटकों का उपयोग करके प्रति इकाई पांच डॉलर से भी कम की लागत में तैयार किया जा सकता है।
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अभी कोरोना संक्रमित के नमूनों की जांच करना बाकी है
वैज्ञानिकों के अनुसार, सामान्य सेंट्रीफ्यूज एक मिनट में 2000 बार रोटेट होता है। इसमें सैकड़ों डॉलर का खर्च आता है और इसके लिए बिजली की जरूरत भी पड़ती है जबकि ‘हैंडीफ्यूज’ के साथ ऐसा नहीं है। वैज्ञानिकों ने अपनी स्टडी में लिखा कि इस डिवाइस के प्रभाव को मापने के लिए अभी कोरोना संक्रमित के नमूनों की जांच करना बाकी है। इसके बाद ही हम इसकी मान्यता पर विचार करेंगे। उन्होंने कहा कि हम अभी एलएएमपी प्रोटोकॉल और हैंडीफ्यूज को फील्ड सेटिंग में टेस्ट करने की तैयारी कर रहे हैं। अध्ययन के मुताबिक, हैंडीफ्यूज-एलएएमपी जांच हार्वर्ड विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक ब्रायन राबे और कांस्टेंस सेप्को द्वारा विकसित नैदानिक विधि के तरीकों के इस्तेमाल के आधार पर काम करती है।