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नई दिल्ली। दशहरा के पर्व पर देश भर में सच्चाई और धर्म के प्रतीक भगवान राम की पूजा की जाती है और बुराई के प्रतीक रावण का पुतला दहन कर बुराई पर अच्छाई के विजय को प्रदर्शित किया जाता है। लेकिन क्या आपको पता है कि भारत में हिमाचल समेत 5 ऐसी जगह मौजूद हैं जहां राम की नहीं बल्कि रावण की पूजा की जाती है। बता दें कि हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और कर्नाटक में कुछ एसी जगहें हैं जहां रावण को पूजा जाता है।
हिमाचल प्रदेश : हिमाचल के कांगड़ा जिले में स्थित शिवनगरी नाम से मशहूर बैजनाथ कस्बे में लोग रावण के पुतले को जलाना महापाप मानते हैं। यहां पर पूरी श्रद्धा के साथ रावण की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है की रावण ने कुछ साल बैजनाथ में शिव भगवान की तपस्या कर मोक्ष का वरदान प्राप्त किया था।
उत्तर प्रदेश : वहीं उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में रावण का एक बेहद ही प्रसिद्ध दशानन मंदिर स्थित है। इस मंदिर में रावण को शक्ति के प्रतिक के रूप में पूजा जाता है। बताया जाता है की इस मंदिर का निर्माण 1890 में हुआ था। रावण के इस मंदिर को साल में केवल दशहरे के दिन ही खोला जाता है और रावण की प्रतिमा का साज श्रृंगार कर आरती की जाती है। जिसके बाद शाम को मंदिर के दरवाजे फिर एक साल के लिए ताला लगा दिया जाता है।
जोधपुर : राजस्थान के जोधपुर जिले के मन्दोदरी नामक क्षेत्र को रावण और मन्दोदरी का विवाह स्थल माना जाता है। यहां पर आज भी चवरी नामक रावण की एक छतरी मौजूद है। शहर के चांदपोल क्षेत्र में रावण का एक मंदिर भी बनाया गया है जहां रावण की पूजा की जाती है।
मध्यप्रदेश : यहां के विदिशा जिले में एक गांव है जहां रावण का मंदिर बना हुआ है और यहां रावण की पूजा होती है। यह रावण का प्रदेश में पहला मंदिर था। वहीं मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में भी रावण का एक मंदिर है। ऐसा माना जाता है की रावण दशपुर (मंदसौर) का दामाद था और रावण की धर्मपत्नी मंदोदरी मंदसौर की निवासी थी।
कर्नाटक : यहां स्थित कोलार जिले में लोग फसल महोत्सव के दौरान रावण की पूजा करते हैं। लोग रावण को भगवान शिव का परम भक्त मानते हैं और इसी कारण उसकी पूजा भी करते हैं। भगवान शिव के साथ रावण की प्रतिमा भी जुलूस में निकाली जाती है। राज्य के मंडया जिले के मालवल्ली तहसील में रावण का एक मंदिर भी है जहां रावण को पूजा जाता है।
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