- Advertisement -
शिमला। पिछले करीब सात साल की माथापच्ची के बाद घरेलू उद्योगों के हित से जुड़ी समस्याओं के समाधान नहीं होने पर आखिरकार भारत ने चीन के समर्थन वाले आरसीईपी समझौते से बाहर रहने का फैसला किया है। पीएम नरेंद्र मोदी ने सोमवार को आरसीईपी शिखर बैठक में कहा कि भारत आरसीईपी में शामिल नहीं होगा। भारत का ये फैसला सराहनीय कदम है। इससे देश के किसानों को लाभ होगा। यह बात मंगलवार को शिमला में कृषि विशेषज्ञ देवेंद्र शर्मा ने कही। उन्होंने बताया कि भारत के इस कदम से साफ़ है कि भारत सावधानी से अपने उद्योग तथा किसानों के संरक्षण की सोच रहा है। इससे डेयरी क्षेत्र को बड़ी राहत मिलेगी।
उन्होंने बताया कि पिछले सालों में देश भर के 3 लाख 18 हज़ार किसानों ने आत्महत्या की। जबकि अकेले पंजाब में ही पिछले दो साल में 16 हज़ार किसानों ने आत्महत्या की। इससे निपटने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है। आसियान देशों और 6 अन्य प्रमुख देशों की आरसीईपी के तहत मुक्त व्यापार करार में डेयरी उत्पाद को शामिल करने के प्रस्ताव हैं, जिसका किसान विरोध कर रहे थे। आरसीईपी वार्ताओं को शुरू करने का मकसद एक आधुनिक, व्यापक, उच्च गुणवत्ता वाला और पारस्परिक लाभकारी आर्थिक भागीदारी करार करना था।
- Advertisement -