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धारा 118 से छेड़छाड़ नहीं, प्रदेश में बनाएंगे इन्वेस्टमेंट ब्यूरो -बोले हर्षवर्धन चौहान
नाहन। उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि प्रदेश में निवेश को आकर्षित करना हमारी सरकार की प्राथमिकताओं में एक है। उन्होंने कहा कि राज्य में निवेश ब्यूरो की स्थापना की जाएगी। आज पांवटा में हिप्र चैंबर्स ऑफ कॉर्मस एंड इंडस्ट्रीज के साथ आयोजित बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। इस बैठक में पांवटा एवं कालाअंब के विभिन्न उद्योगों के प्रतिनिधि उपस्थित थे। उद्योग मंत्री ने कहा कि धारा 118 में ज्यादा छेड़छाड़ संभव नहीं है लेकिन विभिन्न प्रकार के एनओसी व स्वीकृतियां समयबद्ध प्रदान की जाएंगी। उन्होंने चैंबर से पांवटा में लंबित मामलों की विस्तृत जानकारी प्रस्तुत करने के लिए भी कहा। उन्होंने कहा कि कंपनी स्थापित करने के लिए अब जिला स्तर पर फाईल क्लीयर होगी और सीधे सीएम को भेजी जाएगी जिसे समयबद्ध क्लीयर कर दिया जाएगा।
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हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि पुराने उद्योगों को निरंतर क्रियाशील रखने के लिए वन टाइम सेटलमेंट किया जाएगा जिससे उद्योग प्रोत्साहित होंगे, हालांकि नये उद्योगों को भी आमंत्रित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि उद्योगों का पलायन हर हालत में सरकार द्वारा रोका जाएगा। उन्होंने प्रदेश में सौर उर्जा से जुड़े उद्यम स्थापित करने को कहा, इसके लिए सरकार एनओसी स्वीकृतियां प्रदान करने में किसी प्रकार का विलंब नहीं होने देगी। यह आश्वासन उन्होंने पांवटा में स्थापित किये जा रहे सौर पावर प्लांट की स्थापना में आ रही समस्या का समाधान करते हुए दिया। उद्योग मंत्री ने कहा कि उद्योगों की अधोसंरचना व कनैक्टिविटी जरूरी है, सरकार इस पर काम करेगी। उन्होंने कहा कि निवेश ब्यूरो के सीईओ के अधीन विभिन्न विभागों को लाकर सभी प्रकार के एनओसी व स्वीकृतियां सीईओ स्तर पर ही अविलंब प्राप्त करने की सुविधा होगी। उन्होंने विभागों को उद्योगों से सम्बन्धित एनओसी शीघ्र जारी करने के निर्देश दिए।
एनओसी अथवा स्वीकृतियां लेने में छूट दी जानी चाहिए
चैंबर्स ऑफ कॉर्मस एंड इंडस्ट्रीज पांवटा साहिब के अध्यक्ष सतीश कुमार गोयल ने बैठक का एजेंडा प्रस्तुत करते हुए उद्योगपतियों को पेश आ रही विभिन्न समस्याएं उद्योग मंत्री के समक्ष रखी। उन्होंने कहा कि धारा 118 उद्योग विस्तार के लिए बड़ी बाधा है और करीब 250 करोड़ रुपये का निवेश इसी वजह से रूका हुआ है। यदि कंपनी में कोई भी बदलाव होता है तो धारा 118 के चलते पंजीकरण शुल्क भी दोबारा से लगता है। उन्होंने कहा कि मैनकाइंड का आयुर्वेद सम्बन्धी 1900 करोड़ रुपये का निवेश भी स्वीकृतियों के बिना रूका है।उन्होंने कहा कि विभिन्न विभागों की एनओसी की अनिवार्यता के चलते कंपनी या तो लग नहीं पाती या फिर पलायन पर मजबूर हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि जिला उद्योग केन्द्र के अपने प्लॉट होने के बावजूद कई प्रकार के एनओसी अथवा स्वीकृतियां लेने में छूट दी जानी चाहिए।