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नई दिल्ली। भारत में सबसे लंबे समय तक सर्विस देने वाला युद्धपोत आईएनएस विराट (INS Viraat) अब अपने आखिरी सफर पर निकाल चुका है। तीस साल तक सेवा देने के बाद साल 2017 में युद्धपोत को डिकमिशंड (सेवानिवृत्त) कर दिया गया था। शनिवार को यह मुंबई से गुजरात के अलंग स्थित जहाज तोड़ने वाले यार्ड के लिए रवाना हो गया। भारतीय नौसेना का यह युद्धपोत रविवार देर रात भावनगर पहुंचेगा। नौसेना में विराट को ‘ग्रांड ओल्ड लेडी’ (Grand Old Lady) भी कहा जाता है। आईएनएस विराट का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल है। ये दुनिया का एकलौता ऐसा जहाज है जो इतना बूढ़ा होने के बाद भी इस्तेमाल किया जा रहा था और बेहतर हालत में था।
देहिनोऽस्मिन्यथा देहे कौमारं यौवनं जरा।
तथा देहान्तरप्राप्तिर्धीरस्तत्र न मुह्यति।।… the Spirit lives on pic.twitter.com/RaAuCVPjGM
— SpokespersonNavy (@indiannavy) September 19, 2020
सन् 1987 में नौसेना में शामिल हुई इस वॉर शिप को नीलामी में श्रीराम ग्रुप ने 38.54 करोड़ रुपए में एक नीलामी में पिछले महीने खरीदा था। अब इसके लोहे का उपयोग मोटरबाइक्स बनाने के लिए किया जा सकता है। नीलामी में इस विमान वाहक को खरीदने वाली कंपनी ने मंगलवार को इसकी जानकारी दी है। श्रीराम ग्रुप ने कहा कि उसने इस विशाल विमान वाहक को नीलामी में खरीद लिया और इसे पूरी तरह तोड़कर छोटे-छोटे टुकड़ों में बदलने में एक साल का वक्त लगेगा। श्रीराम ग्रुप के पास एशिया का सबसे बड़ा स्क्रैपयार्ड है, जो गुजरात के अलंग में स्थित है।
लहरों के सिकंदर के नाम से मशहूर आईएनएस विराट भारत का दूसरा विमान वाहक पोत है, जिसने भारतीय नौसेना में 30 वर्ष तक सेवा दी है। इससे पहले उसने ब्रिटेन के रॉयल नेवी में 25 वर्षों तक सेवा दी। इसका ध्येय वाक्य ‘जलमेव यस्य, बलमेव तस्य’ था। जिसका मतलब होता है, ‘जिसका समंदर पर कब्जा है वही सबसे बलवान है।’ इस सूक्ति को सबसे पहले छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपनाया था जिन्होंने 17वीं शताब्दी में इसे अपनी सेना के लिए इस मार्गदर्शक सिद्धांत बनाया था।
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