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शुरू हुआ कुल्लू दशहरा
Last Updated on October 25, 2020 by Deepak
कुल्लू। अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव आज शुरू हो गया। कोरोना के साए के चलते इस देव-मानस मिलन उत्सव में मात्र देव परंपराओं का निर्वहन ही हो पाया। भगवान रघुनाथ की अगवाई वाले दशहरा उत्सव में इस बार मात्र सात देवी-देवता ही शिरकत करेंगे। देश-विदेश में प्रसिद्ध कुल्लू का अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव सदियों से मनाया जा रहा है। लेकिन कोरोना काल में आज से शुरु हुए देव आस्था का प्रतीक कुल्लू दशहरे में केवल आठ देवी-देवताओं ने ही रथ यात्रा में भाग लिया। इन में खराहल घाटी के बिजली महादेव, राजपरिवार की दादी माता हिडिंबा, नग्गर की माता त्रिपुरा सुंदरी, खोखन के देवता आदि ब्रह्मा, पीज के जमदग्नि ऋषि, रैला के लक्ष्मी नारायण और ढालपुर के देवता वीरनाथ (गौहरी) व देवता नाग धूंबल शामिल रहे। प्रशासन के आदेशों के अनुसार रथयात्रा के दौरान 200 लोग इस में शामिल हुए।
इस बार जिला के अन्य देवी-देवताओं को उत्सव में न बुलाने को लेकर सभी देवी-देवता भी नाराज दिखे और माता हिडिंबा के अलावा देवता नाग धूंबल ने भी गूर के माध्यम से कहा किसने उन्हें दशहरा में आने से रोका उसके बारे में उन्हें सब पता है। नाग धूंबल ने भगवान रघुनाथ के दरबार में हाजिरी भरने के बाद गूर के माध्यम से देववाणी करते हुए कहा। उन्होंने कहा कि देव परंपरा राजनीति हावी हो रही है और देव परंपरा के साथ खिलवाड़ हो रहा है जो सहन नहीं होगा। भगवान रघुनाथ की दादी माता हिडिंबा ने रघुनाथपुर में अपने गूर के माध्यम कहा देव संस्कृति में किसी का भी दखल सहन नहीं होगा।
एक समय था दशहरा उत्सव के शुभारंभ पर जहां सैकड़ों देवी-देवता रथ मैदान में एकत्र होते थे और आपस में मिलन को देखने के लिए भीड़ एकत्र होती थी। इस वर्ष न तो भीड़ देखने को मिली और न ही सैकड़ों देवी-देवता। मात्र आठ देवी देवताओं से ही रथ यात्रा का निर्वहन किया गया। कोरोना जैसे भीषण बीमारी ने आज सदियों पुराने इतिहास को दोहराया है। वर्ष 1972 के बाद पहली बार मात्र 200 लोग रघुनाथ के रथ को खींचेंगे। हालांकि 1971 को हुए गोलीकांड के चलते अगले साल दशहरे में रघुनाथ शामिल नहीं हो पाए और ढालपुर में रथयात्रा का भव्य आयोजन भी नहीं हो सका था।