- Advertisement -
मंडी। अंतराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में रविवार को नया अध्याय जुड़ गया। पड्डल मैदान में हुए देवध्वनि कार्यक्रम के दौरान बजंतरियों ने देव ध्वनि से एक पल के लिए माहौल को पूरी तरह से भक्ति में सराबोर कर दिया। कार्यक्रम में बजंतरियों ने अपने पिछले रिकॉर्ड को तोड़ इस बार एक नया कीर्तिमान स्थापित कर दिया। चारों जोन के बजंतरियों में चौहार घाटी, बल्ह घाटी, सिराज व सनौर घाटी के देवताओं के देवलु शामिल हुए। इस अवसर पर सीएम वीरभद्र सिंह भी मौजूद रहे। वीरभद्र सिंह ने यहां पर देवताओं के बजंतरियों को मानदेय देने की घोषणा भी की। उन्होंने कहा कि बजंतरियों को सम्मान देने के लिए उन्हें कारदारों के समान मानदेय प्रदान किया जाएगा। क्योंकि बजंतरी इन देवी-देवताओं के परिवार के अभिन्न अंग हैं। उन्होंने कहा कि हम हमेशा ही अपने देवी-देवताओं से घिरे रहते हैं, जो प्रतिदिन आयोजित होने वाली रस्मों में शामिल होते हैं।
पड्डल मैदान में रविवार को एक साथ लगभग 1831 बजंतरियों ने लिया भाग और देव ध्वनि बजाई। गौर रहे कि इससे पहले पिछले साल आयोजित हुए शिवरात्रि महोत्सव में करीब 1806 बजंतरियों ने भाग लिया था। वहीं, अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में इस बार देव समागम और देव ध्वनि का प्रदर्शन आकर्षण का केंद्र रहा।
इस ऐतिहासिक पल का गवाह मंडी के साथ-साथ पूरा प्रदेश बना। मेला कमेटी और जिला प्रशासन की पहल पर शिवरात्रि महोत्सव में देव ध्वनि नाम से देवी-देवताओं संग आने वाले बजंतरियों ने एक साथ पारंपरिक वाद्य यंत्रों का प्रदर्शन किया, जिसमें देवताओं के साथ आने वाले बजंतरियों ने तो भाग लिया ही साथ ही स्थानीय लोगों ने भी इसमें बढ़ चढ़कर अपनी भागीदारी दर्ज करवाई। गौर रहे कि प्राचीन लोक संस्कृति और कला को बढ़ावा देने के लिए शिवरात्रि मेले में इस तरह की देव ध्वनि प्रदर्शन का आयोजन किया गया है। बहरहाल, पिछले साल देव ध्वनि में 1800 बजंतरियों ने लोक वाद्य यंत्रों का नाद किया था, जिसे लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में हाल ही में शामिल किया गया था। इसे लिम्का बुक आफॅ रिकार्ड्स की ओर से राष्ट्रीय रिकार्ड के रूप में मान्यता दी गई है।
- Advertisement -