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जल रक्षक को नियुक्ति न देने के मामले में प्रधान, IPH अधिकारी के खिलाफ होगी जांच
Last Updated on January 11, 2020 by Deepak
शिमला। हाईकोर्ट (High Court) ने जल रक्षक को नियुक्ति न देने के मामले में डीसी मंडी (DC Mandi) को आदेश दिए कि वह तहसील सरकाघाट के तहत ग्राम पंचायत चनौता के प्रधान के खिलाफ जांच शुरू करें। साथ ही कोर्ट ने आईपीएच विभाग के इंजीनियर-इन-चीफ (Engineer-in-chief) भी आईपीएच अधिकारी के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं।
न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश सीबी बारोवालिया की खंडपीठ ने वीना कुमारी की याचिका का निपटारा करते हुए यह आदेश दिए। कोर्ट ने प्रार्थी को जल रक्षक के तौर पर नियुक्ति देने के आदेश भी दिए। मामले के अनुसार प्रार्थी का चयन 16 सितंबर 2016 को जल रक्षक के लिए हुए साक्षात्कार (Interview) में किया गया था।
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चयन के बाद विधियुक्त प्राधिकारी ने ग्राम पंचायत चनौता के प्रधान को आदेश दिए कि वह चयनित प्रार्थी को नियुक्ति प्रदान करें। प्रधान ने प्रार्थी को नियुक्ति देने से इनकार कर दिया, जिसके पश्चात आईपीएच सब डिवीजन धर्मपुर के सहायक अभियंता ने 23 नवंबर 2016 को जल रक्षक की नियुक्ति ही रद्द कर दी। कोर्ट ने प्रधान व सहायक अभियंता के रवैये पर खेद जताते हुए कहा कि यह वैध प्राधिकारी के आदेशों की अवज्ञा का स्पष्ट उदाहरण है। कोर्ट ने आईपीएच विभाग के इंजीनियर-इन-चीफ (Engineer-in-chief) को भी आदेश दिए कि वह तत्कालीन सहायक अभियंता के खिलाफ जांच करें कि किन परिस्थितियों में उसने 23 नवंबर 2016 को जल रक्षक की भर्ती ही रद्द कर दी, जबकि प्रार्थी का चयन कर लिया गया था। कोर्ट ने प्रधान व सहायक अभियंता के खिलाफ 3 महीनों के भीतर जांच पूरी करने के आदेश दिए व इनके खिलाफ उचित कार्रवाई अमल में लाने के आदेश दिए।