-
Advertisement
हिमाचलः सहकारी सभा में गड़बड़झाला, जमाकर्ता पहुंचे अधिकारियों के पास
ऊना। सहकारी सभाओं में एक के बाद एक गड़बड़झाले सामने आने लगे हैं। एक तरफ जहां कुछ सहकारी समितियों में चल रहे घोटालों की जांच हिमाचल प्रदेश स्टेट विजिलेंस एंड एंटी करप्शन ब्यूरो की टीमें कर रही हैं, वहीं अन्य समितियों से भी इसी तरह की शिकायतें आने लगी हैं। ताजा मामले में जिला मुख्यालय की नजदीकी कृषि सहकारी सभा नंगल सलांगड़ी के जमाकर्ताओं ने सभा के प्रबंधन और सचिव पर गंभीर आरोप जड़ते हुए सहकारी सभाओं की पंजीकरण अथॉरिटी के पास शिकायत पत्र दे दिया है। सहकारी सभा में जमा अपने खून पसीने की कमाई को बचाने के लिए जमा कर्ताओं ने संघर्ष समिति का भी गठन किया है।
यह भी पढ़ें- Himachal Budget: हिमाचल की महिलाओं को मिलेंगे मुफ्त तीन गैस सिलेंडर, पुराने उपभोक्ताओं को भी तोहफा
कृषि सहकारी सभा नंगल सलांगड़ी के जमाकर्ताओ ने सभा की प्रबंधन समिति और सचिव पर गोलमाल के आरोप जड़ते हुए सहायक पंजीयक सहकारी सभाएं को शिकायत सौंपी है। सहकारी समिति के जमाकर्ताओं ने अपनी जमा पूंजी को बचाने के लिए संघर्ष समिति तक का गठन कर दिया है। आज ऊना में अधिकारियों से मिलने पहुंचे संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने आरोप जड़ा कि समिति के जमाकर्ता अपनी जमा पूंजी मांगने के लिए के सहकारी सभा के सचिव से मांग कर रहे हैं, उनकी जमा पूंजी उन्हें नहीं मिल पा रही। पदाधिकारियों का आरोप था कि कि उनकी जमा पूंजी का दुरुपयोग किया गया है। यहां तक कि कुछ खाताधारकों के नाम फर्जी लोन भी बनवाए गए हैं। उन्होंने इस पूरे प्रकरण में सचिव की भूमिका को संदेहास्पद करार दिया है। संघर्ष समिति पदाधिकारियों का आरोप है कि समिति में करोड़ों रुपए की जमा पूंजी खाता धारको द्वारा जमा करवाई गई है, आज उन्हें अपने ही हक हलाल की कमाई नहीं मिल पा रही।
वहीं सहायक पंजीयक सहकारी सभाएं का कहना है कि पिछले साल के ऑडिट के अनुसार इस सभा में करीब 3 करोड़ रुपये की पूंजी खाता धारकों द्वारा जमा करवाई गई है। जबकि इसी ऑडिट नोट के अनुसार करीब अढ़ाई करोड़ के लोन लोगों को दिए गए हैं। वहीं सहकारिता के नियम के अनुसार जमा पूंजी से केवल मात्र 30 फ़ीसदी राशि तक ही ऋण दिया जा सकता है। ताकि समय पड़ने पर लोगों को उनकी मांग के अनुसार उनका पैसा वापस दिया जाता है। लेकिन इस सहकारी सभा द्वारा नियमों को ताक पर रखकर कोताही बरती गई है। जिसके लिए वहां की प्रबंधन समिति और सचिव पूरी तरह से जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि इस संबंध में प्रबंधन समिति को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया है। यदि प्रबंधन समिति द्वारा कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया जाता है तो फिर विभाग के सहकारी सभा का काम अपने हाथ में ले लेगा।