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Una: घंडावल सोसायटी में गड़बड़झाला; ऑडिट करने पहुंची टीम के समक्ष उपभोक्ताओं का हंगामा
Last Updated on September 2, 2020 by Deepak
ऊना। आम व गरीब जनता के लिए जिला में बनाई गई सोसायटियों में आए दिन गड़बड़झाले सामने आ रहे हैं। ताजा मामला दी घंडावल कृषि सेवा सहकारी सभा समिति (Ghandaval Society) में पेश आया है। यहां पर सचिव पर अनियमितता के आरोप लगाए गए हैं। आरोप है कि सचिव पिछले कई वर्षों से लोन धारकों से ब्याज की अधिक रकम वसूल कर रहा है जबकि सोसाइटी के खाते में ब्याज की रकम कम जमा हुई है। इस पूरे मामले की शिकायत (Complaint) मुख्यमंत्री हेल्पलाइन में पहुंचने के बाद सहकारी सभाएं विभाग की एक टीम सोसायटी पहुंची।
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इस दौरान मौका पर पहुंचे उपभोक्ताओं ने जमकर हंगामा किया। उपभोक्ताओं ने एक स्वर में कहा कि मामले की निष्पक्ष जांच हो और दोषी पाए जाने के बाद सचिव पर कार्रवाई की जाए। इसके अलावा उपभोक्ताओं ने सचिव को तुरंत पद से हटाने की भी मांग उठाई। देर तक चली ऑडिट जांच (Audit Check) के दौरान पाया गया कि खासकर लोन धारकों के खातों से हेरफेर हुई है। पॉसबुक और सभा के खाते में अलग-अलग एंट्री है। सभा से लोन लेने वाले खाताधारकों की माने तो जब उन्होंने अपने खातों की जांच करवाई, तो पता चला कि लोन खातों से अधिक ब्याज लिया गया है, जो कि सोसायटी के एकाउंट में कम दर्ज किया गया है, जबकि पासबुक कॉपी में दर्ज है। उपभोक्ताओं ने विभाग से मांग है कि जिसने ऐसा काम किया है, उसे पदमुक्त किया जाए और कार्रवाई अमल लाई जाये।
लोन धारकों की पॉसबुक व सोसायटी स्टेटमेंट में काफी अंतर
सोसायटी के सचिव सतीश कुमार ने उपभोक्ताओं द्वारा लगाए गए आरोपों को सही माना। उन्होंने कहा कि लोन धारकों की पॉसबुक व उनकी स्टेटमेंट में काफी अंतर है। लेकिन, उनके बाऊचर जिसमें धारकों ने हस्ताक्षर किए हैं व कंप्यूटर स्टेटमेंट (Computer Statement) में सही मिलान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि लिखने में काफी गलतियां हुई हैं। उन्होंने कहा कि जांच के बाद जो भी होगा, उसकी भरपाई के लिए भी मैं तैयार हूं।
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सोसायटी के प्रधान गुरदियाल सिंह ने कहा कि 18 जुलाई को मामला ध्यान में है, जिसकी जांच के लिए ऑडिटर को बोला गया, जिसके बाद खाते में गड़बड़ी सामने आई। इसके बाद अन्य खाताधारकों की जांच की गई, तो कई गड़बडिय़ा पाई गई। उन्होंने कहा कि ये पूरा काम सचिव का है। इससे पहले भी जांच को चेतावनी देकर छोड़ा गया था। उन्होंने कहा कि जांच के लिए रि-ऑडिट की भी मांग की गई है। उन्होंने कहा कि एक केस ऐसा भी आया खाताधारक के खाते में 50 हजार की एंट्री थी, लेकिन रजिस्ट्रर में एंट्री नहीं थी। सोसायटी में जांच के लिए पहुंचे सहकारी सभाएं के ऑडिटर उमेश ने कहा कि अभी तक करीब 300 खाते चेक किए गए हैं। जिसमें पाया गया कि लोन खाताधारकों की वसूली में ब्याज कहीं कम तो कही ज्यादा लिया गया है। उन्होंने कहा कि हो सकता कंप्यूटर सॉफ्टवेयर (computer Software) द्वारा ऐसा हुआ होगा, जिसकी जांच की जाएगी। उन्होंने कहा कि कुछ ऐसे खाते भी है, जिसमें गड़बड़ी पाई गई है।