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3 साल में 34 विद्युतकर्मियों की गई ड्यूटी के दौरान जान, 11 के परिजनों के दी Job
Last Updated on March 14, 2020 by Deepak
शिमला। हिमाचल प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र (Budget Session of Himachal Pradesh vidhansabha) के दौरान सीएम जयराम (CM Jairam) ने कहा कि पिछले 3 साल में 34 विद्युत कर्मी ड्यूटी के दौरान काल के ग्रास बने हैं। ठियोग के विधायक राकेश सिंघा ने ऊर्जा मंत्री से पूछा कि 31 जनवरी, 2020 तक पिछले तीन साल में राज्य विद्युत बोर्ड के कितने कर्मचारियों की ड्यूटी के दौरान मौत (Death)हुई उनमें आउटसोर्स , कांट्रेक्ट व अन्य कितने थे। सरकार क्या ऐसे कर्मियों के आश्रितों को नौकरी व पेंशन दे रही है, यदि नहीं तो कारण बताएं।
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जवाब में सीएम जय राम ठाकुर ने बताया कि 31 जनवरी ,2020 तक पिछले तीन साल के दौरान राज्य विद्युत बोर्ड के 34 कर्मियों की मौत हुई। जिनमें 5 आउटसोर्स के थे। इनमें से 11 के परिवारों को करुणामूलक आधार पर नौकरी दी गई है। 14 मामले प्रगति पर है जबकि 9 कर्मियों ने नौकरी के लिए आवेदन ही नहीं किया। 34 में से 23 कर्मियों के परिवार पेंशन के दायरे में आते हैं। जबकि 11 अन्य को न्यू पेंशन स्कीम में डाला गया है। सिंघा ने पूछा कि इस मृत्यु के आंकड़े में उन लोगों का आंकड़ा नहीं है जो मज़दूर थे। ऐसे मृतकों को एक पैसा तक नहीं मिला। सीएम जय राम ठाकुर ने कहा कि विद्युत कर्मियों को 4 लाख मुआवज़ा दिया जाता है। जबकि करंट लगने के अपाहिज़ हुए व्यक्ति को दो लाख दिया जाता है। रोशन लाल का मामला कोर्ट में चल रहा है लेकिन सरकार उसके परिवार को दो लाख देगी।
महेंद्र सिंह के लंबे जवाब से विपक्ष हुआ संतुष्ट
इससे पहले नादौन के कांग्रेसी विधायक सुखविंदर सिंह सुक्खू ने जल शक्ति मंत्री से जानना चाहा कि फॉरेन फंडिंग के तहत कितनी परियोजनाओं को चलाया जा रहा है। सरकार नई परियोजनाएं लाने के लिए क्या पग उठा रही है।
जवाब में महेंद्र सिंह ठाकुर ने बताया कि वर्तमान में फॉरेन फंडिंग से दो योजनाएं चल रही है। पहली एशियन विकास बैंक मिशन की उपोष्ण कटिबंधीय बागवानी सिंचाई एवम मूल्य वर्धन परियोजना 1688 करोड़ व सिंचाई परियोजना 4751 करोड़ की है। जबकि दूसरी योजना पीआरएफ के अंतर्गत चार फलों अमरूद, लीची, नींबू व अनार की 17 योजनाओं के पायलट परीक्षण के लिए 70 करोड़ आया है। वहीं एचपी शिवा परियोजना का का प्रथम चरण लागू किया जाएगा।
जिसमें एडीबी ने 100 मिलियन डॉलर का प्रावधान किया गया है। इससे परियोजना से 25 हज़ार किसान लाभान्वित हुए। जलशक्ति मंत्री ने इतना लंबा जवाब दिया कि विपक्ष को स्वयं कहना पड़ा कि मंत्री जी आपके जवाब से संतुष्ट है। इस बीच नूरपुर के विधायक राकेश पठानिया ने कहा कि बागवानी में जो 9 क्लस्टर बनाने थे वह अभी तक क्यों नहीं बने। जबकि नूरपुर डिवीज़न के लिए नींबू आम व लीची के लिए कुछ भी नही किया। जवाब में महेंद्र सिंह ने बताया कि ये प्रोजेक्ट 2016 में ही आया लेकिन कांग्रेस सरकार ने सिर्फ 22 करोड़ 57 लाख ही ख़र्च किया। बीजेपी सरकार ने दो साल में सवा सौ करोड़ खर्च किया अब शिवा व विश्व बैंक पोषित बैंक की योजनाओं के तहत समूचे प्रदेश को जोड़ा जाएगा।