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शिमला।सीएम जयराम ठाकुर ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों के लिए अलग से लागत प्रभावी तथा विश्वसनीय ऊर्जा संचरण एवं वितरण प्रणाली विकसित करने की आवश्यकता है, जो उपभोक्ताओं को निर्बाध विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करेगी। वह आज यहां केंद्रीय सिंचाई एवं ऊर्जा बोर्ड तथा सीआईजीआरई-इंडिया द्वारा हिमाचल प्रदेश ऊर्जा संचरण निगम सीमित के संयुक्त तत्वाधान में ‘पर्वतीय क्षेत्र में ट्रांसमिशन लाइनों के निर्माण में चुनौतियां’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे थे।
सीएम ने कहा कि देश में ऊर्जा क्षेत्र तेजी के साथ विकसित हो रहा है तथा सम्मेलन नवीनतम तकनीकों पर खुली परिचर्चा तथा सूचना के आदान-प्रदान के लिए मंच प्रदान करेगा, जो ऊर्जा क्षेत्र में हो रही उन्नति के अनुरूप नवाचारों तथा नवीनतम ज्ञान हासिल करने के लिए पेशेवरों के लिए अति-आवश्यक है। उन्होंने कहा कि ढ़लानों का ठहराव, भू-स्खलन, ग्लेशियर जैसे मुद्दों का प्रभावी समाधान आवश्यक है।
जयराम ठाकुर ने कहा कि राज्य ऊर्जा संचरण निगम सीमित राज्य में जल विद्युत परियोजनाओं के लिए ट्रांसमिशन प्रणाली को विकसित कर रहा है। उन्होंने कहा कि पहाड़ी क्षेत्रों में ट्रांसमिशन लाइनें बिछाना मैदानी क्षेत्रों की अपेक्षा काफी कठिन है, इसलिए उपभोक्ताओं को विश्वसनीय, निर्बाध तथा लागत प्रभावी विद्युत आपूर्ति प्रदान करने के लिए विशेष कार्यनीति तैयार करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि लगभग 10 हजार मेगावाट क्षमता की जल विद्युत परियोजना क्रियान्वयन के विभिन्न चरणों में है और यह सुनिश्चित करने के प्रयास किए जा रहे हैं कि यह सभी परियोजनाएं शीघ्र आरंभ की जा सकें। हिमाचल प्रदेश का 1988 में शत-प्रतिशत विद्युतीरकण हो चुका था। उन्होंने कहा कि पूरी हो चुकी जल विद्युत परियोजनाओं से प्रभावी विद्युत प्राप्त करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
सीएम ने वन वैली वन लाइन पर बल दिया। उन्होंने कहा कि राज्य में सौर ऊर्जा को प्रोत्साहित करने के भी प्रयास किए जा रहे हैं और उनका मानना है कि गांवों में सौर बिजली सुविधा प्रदान की जानी चाहिए। सीएम ने इस अवसर पर सम्मेलन की कार्यवाही को भी जारी किया। बहुद्देशीय परियोजनाएं एवं ऊर्जा मंत्री अनिल शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार सीएम जयराम ठाकुर के दूरदर्शी नेतृत्व में हिमाचल को देश का ‘ऊर्जा राज्य’ बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। राज्य सरकार ने राज्य में ऊर्जा उत्पादकों को अनेक प्रोत्साहन सुनिश्चित करने के लिए नई ऊर्जा नीति तैयार की है। राज्य सरकार उपभोक्ताओं को निर्बाध बिजली आपूर्ति प्रदान करने के लिए भी कृतसंकल्प है।
अतिरिक्त मुख्य सचिव एवं हिप्र राज्य विद्युत बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. श्रीकांत बाल्दी ने कहा कि राज्य ने अभी तक 10500 मेगावाट विद्युत क्षमता का दोहन कर लिया है।एसजेवीएनएल के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक नंद लाल शर्मा ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में 27000 मेगावाट की विद्युत क्षमता मौजूद है, जो देश की कुल क्षमता का एक चौथाई है। उन्होंने कहा कि पहाड़ी राज्य होने के नाते यहां ऊर्जा ट्रांसमिशन लाइनों के निर्माण के लिए विशेष डिज़ाइन की आवश्यकता है।
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