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मंडी/गोहर। जंजैहली का जिन्न बाहर आया तो बहुत कुछ उगलने लगा। हाईकोर्ट ने यहां कांग्रेस शासन में खोले गए एसडीएम ऑफिस की नोटिफिकेशन रद कर दी तो लोग सड़कों पर उतर आए। इसके तीन दिन बाद धर्मशाला में सीएम जयराम ठाकुर ने हिमाचल अभी अभी से बातचीत में इसे पूववर्ती कांग्रेस सरकार की मिस मैनेजमेंट करार दिया। मामला नहीं रुका और बढ़ता चला गया, नौबत पुलिस पर पथराव व पुतले जलाने तक आ गई। इस सबके बीच एक और सच्चाई निकलकर बाहर आई जिस पर किसी ने ज्यादा गौर नहीं फरमाया, वह यह कि जिस वक्त जंजैहली में पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने एसडीएम ऑफिस खोलने की सोच पाली उससे पहले तत्कालीन डीसी मंडी से एक रिपोर्ट मंगवाई गई, बताया जाता है कि उन्होंने एसडीएम ऑफिस के लिए थुनाग को ही सही जगह बताया था।
सीएम जयराम ठाकुर स्वयं इस बात का खुलासा कर चुके हैं कि तत्कालीन डीसी मंडी ने इसलिए अपनी रिपोर्ट में थुनाग को उपयुक्त स्थल बताया था, चूंकि थुनाग तहसील हेडक्वार्टर पहले से ही है। वहीं, इस पूरे मामले का दूसरा पहलू यह है कि कांग्रेस शासनकाल में मिल्कफैड के चेयरमैन रहे चेतराम ने उस वक्त मामले के हाईकोर्ट में चले जाने पर कोर्ट से आग्रह किया कि उन्हें भी पार्टी बनाया जाए ताकि वह अपनी बात रख सके। इस बात का खुलासा भी सीएम जयराम ठाकुर करते हुए बताते हैं कि इसके बाद चेतराम ने कोर्ट में हल्फनामा देकर बताया कि जंजैहली में सब-तहसील खोली गई है। जबकि जंजैहली में आज दिन तक कोई सब-तहसील नहीं है, हां वहां एसडीएम ऑफिस खोला था जिसकी नोटिफिकेशन रद हो गई है। यानी कोर्ट को गुमराह करने की बात कांग्रेस शासनकाल में हुई।
उधर, चेतराम का कहना है कि लगभग दो-अढाई साल पहले थुनाग की ओर से एक तरफा दावा हाईकोर्ट में किया गया था, मैंने जो कोर्ट में दावा दायर किया था, उसमें कोर्ट से यह आग्रह किया था कि जब प्रक्रिया अमल में लाई जाए हो तो मुझे भी सुना जाए। लेकिन कोर्ट की ओर से मेरे दावे को रद कर दिया गया। इस पर बात वहीं पर खत्म हो गई, अब जो सीएम जयराम उस दावे की बात कर रहे हैं, वह गलत है। इसके बाद छतरी सब तहसील की नोटिफिकेशन हुई। इसके बाद ताजा दावा थुनाग की ओर से किया गया है, उससे मुझे कोई लेना-देना नहीं है लेकिन कोर्ट को मैंने पहले यह कहा था कि जब भी नोटिफिकेशन हो तो मेरी बात सुनी जाए यानी मुझे पार्टी बनाया जाए।
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