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नक्सलियों ने झारखंड में रेल ट्रैक उड़ाया, माओवादी नेता प्रशांत बोस की गिरफ्तारी के चलते बंद आह्वान
Last Updated on November 20, 2021 by Piyush
नई दिल्ली/रांची। झारखंड में एक बार फिर माओवादियों ने रेल की पटरी को विस्फोट के जरिए उड़ा दिया। माओवादी अपने नेता प्रशांत बोस और शीला की गिरफ्तारी के विरोध में राज्य में 24 घंटे बंद का भी आह्वान किया है। नक्सली धमकी के चलते अतिनक्सल प्रभावित जिले बंद हैं। इधर, बंद के आह्वान के बीच माओवादियों ने शुक्रवार देर रात चाईबासा में रेल पटरी पर लैंडमाइंस लगाकर विस्फोट कर दिया। जिससे हावड़ा-मुंबई रेल रूट पर ट्रेन परिचालन बाधित हो गया।
मिली जानकारी के मुताबिक प्रशांत बोस और शीला की गिरफ्तारी के विरोध में माओवादियों ने आज बंद का आह्वान किया है। बंद के आह्वान के बीच शुक्रवार-शनिवार की देर रात करीब दो बजे चक्रधरपुर रेल मंडल के चाईबासा में लैंडमाइंस लगाकर माओवादियों ने रेल पटरी उड़ा दी। रेल पटरी उड़ाए जाने की ये घटना सोनुआ-लोटापहाड़ के बीच हुई। गनीमत रही कि समय रहते रेल अधिकारियों की घटना की सूचना मिल गई। विस्फोट की तेज आवाज सुनाई देने के बाद मुंबई हावड़ा मेल ट्रेन को घटनास्थल से पहले ही रोक दिया गया। माओवादियों ने विस्फोट कर अप और डाउन, दोनों तरफ की रेल लाइन उड़ा दी, जिससे ट्रेन का परिचालन ठप हो गया।
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वहीं, रेल पटरी को उड़ाने की खबर लातेहार से भी सामने आ रही है। माओवादियों ने शुक्रवार की देर रात लातेहार के डेमू-रिचुघुटा (demu-richughuta) के बीच रेल पटरी पर बम ब्लास्ट कर उसे क्षतिग्रस्त कर दिया। इस घटना के बाद डाउन रेलवे लाइन पर रेल परिचालन पूरी तरह ठप हो गया। वारदात के बाद रेलवे प्रशासन एक्टिव मोड में आ गया और सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया। रेलवे की टीम ने पटरी की मरम्मत का कार्य शुरू कर दिया है।
माओवादियों के रेल ट्रैक उड़ाने के कारण कई ट्रेन का रूट डायवर्ट करना पड़ा है। 18636 सासाराम-रांची और 08310 जम्मू तवी एक्सप्रेस का परिचालन गया, कोडरमा, मुरी के रास्ते होगा। रेलवे ने 03364 डिहरी ऑन सोन – बरवाडीह स्पेशल और 03362 बरवाडीह- नेसुबोगोमो स्पेशल ट्रेन का परिचालन आज रद्द कर दिया है। गौरतलब है कि भाकपा माओवादी के पोलित ब्यूरो का सदस्य प्रशांत बोस उर्फ किशन दा को झारखंड पुलिस ने पिछले दिनों गिरफ्तार किया था।
कौन है प्रशांत बोस?
1960 के दशक की शुरुआत में प्रशांत बोस नक्सलियों से जुड़े एक श्रमिक संगठन में शामिल हो गया था। जिसके बाद उसे 1974 में गिरफ्तार किया गया था और 1978 में उसे रिहा किया गया था। रिहाई के बाद प्रशांत बोस ने कनई चटर्जी के साथ मिलकर एमसीसीआई की स्थापना की। इसके बाद, बोस ने गिरिडीह, धनबाद, बोकारो और हजारीबाग में जमींदारों के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शनों को संगठित करना शुरू कर दिया। उसने 2000 के आसपास स्थानीय संथाल नेताओं के साथ काम किया और पलामू, चतरा, गुमला और लोहरदगा में नक्सल संगठन को मजबूत किया।
वहीं, 2004 में भाकपा (माओवादी) की स्थापना के बाद से प्रशांत बोस इसकी केंद्रीय समिति, केंद्रीय सैन्य आयोग का सदस्य और पूर्वी क्षेत्रीय ब्यूरो का प्रभारी रहा। बोस दक्षिण छोटानागपुर इलाके में काम करता था और सारंडा के जंगल में रहता था। उसने झारखंड, बिहार, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में माओवादी संगठन को मजबूत करने का काम भी किया। पुलिस के अनुसार, बोस कई माओवादी गतिविधियों में शामिल था, जिसमें 2007 में झारखंड मुक्ति मोर्चा के तत्कालीन महासचिव और जमशेदपुर से पार्टी के मौजूदा सांसद सुनील महतो की हत्या शामिल है। माना जा रहा है कि प्रशांत बोस की गिरफ्तारी से पुलिस को नक्सली संगठन की कार्यप्रणाली, उनके ऑपरेशन, हथियारों के जखीरे और आगे की योजनाओं के बारे में अहम सुराग हाथ लग सकते हैं।
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