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नई दिल्ली। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) (JNU) कैंपस में रविवार को हुई हिंसा के लिए जहां देश का एक तबका एबीवीपी (ABVP) और बीजेपी (BJP) को इस हिंसा के लिए आरोपी समझ रहा है। वहीं जेएनयू के छात्रों का इस मसले पर कुछ और ही कहना है। एक तरफ जहां रविवार को हुई हिंसा में घायल हुई जेएनयू छात्र संघ की अध्यक्षा ने इस बात का दावा किया है कि उनके साथ मास्क पहने हुए लोगों ने हमला किया था। वहीं कुछ छात्रों का कहना है कि गुंडों ने नाम और जाति पूछकर हमकर हमला किया।
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार एक छात्र ने बताया कि शाम 4:00-4:30 बजे की बात है, कुछ छात्र रजिस्ट्रेशन कराने गए थे और लोगों ने उन्हें मारा। वे पहले साल के छात्र थे। जब हम लोग विवेकानंद मूर्ति के पास एडमिन में मारपीट के खिलाफ शिकायत दर्ज करा रहे थे तो 200-300 की संख्या में लेफ्ट के लोग वहां आ गए और पत्थर चलाने लगे। हम वहां से भागे और भागकर पेरियार हॉस्टल आए। जब हम यहां आए तो पता चला कि उनका ग्रुप पहले से ही पेरियार में मौजूद था और करीब 30 से 40 लोगों ने हमारे सीनियर को मारा।
छात्र ने आगे बताया कि इस हमले के बाद हम सोच ही रहे थे कि क्या करना है तभी 200 से 300 लोग दोबारा दूसरी तरफ से आए और पत्थर चलाने लगे। गालियां भी देने लगे। वे कहने लगे कि तुम लोग संघी हो, बाहर निकलो। हम लोग अंदर भागे, मैं यहां खड़ा होकर वीडियो बना रहा था, तभी सामने से किसी ने मेरे ऊपर पत्थर फेंका और सिर पर लग गया। छात्र ने आगे कहा कि चोट लगने के बाद मेरे सीनियर मुझे लेकर छत पर चले गए। वहां पानी की टंकी के पास बैठे रहे।
पीड़ित छात्र के अनुसार ज्यादातर लोगों के चेहरे ढके हुए थे, लेकिन सब इसी कैंपस में रहते हैं और हम उन्हें पहचानते भी हैं। काफी लोगों को पहचानते हैं। छात्र संघ अध्यक्ष आइशी घोष भी वहां थीं, आईसा से जुड़े कई लोग थे। इन लोगों के नाम मैं जानता हूं। पुलिस शिकायत में इनके नाम दे दिए हैं। वहीं एक अन्य छात्र द्वारा बताया गया कि हमला करने वालों ने पूछा कि दलित कौन है, मुस्लिम कौन है। उनके कमरों में जाकर अटैक किया है।
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