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बच्चों के मामले में यह समझना बड़ा मुश्किल होता है कि वे किस कैटेगिरी के हैं क्योंकि उनकी गतिविधियों में काफी कुछ अनुकरण भी होता है। पर अगर थोड़ा सा ध्यान दें तो समझ सकते हैं कि वह और बच्चों जैसा ही है या औरों से अलग है यानी आपका बच्चा ट्रांसजेंडर तो नहीं। हालांकि अब आईपीसी सेक्शन 377 को खत्म कर दिया है और समलैंगिकता को मान्य घोषित कर दिया गया है। लेकिन अभी भी आपको ये जानने की जरूरत है कि कहीं आपका बच्चा तो ट्रांसजेंडर नहीं हैं। इसलिए निम्न बातों पर गौर करना जरूरी है …
क्या आपका बच्चा अलग तरह से ड्रेसअप होता है? क्या वह शीशे के सामने खड़ा होकर अपने जेंडर के विपरीत हरकतें करता है? अगर ऐसा है तो सावधान हो जाएं। दरअसल कई बार हम बच्चों के मामले में थोड़े लापरवाह हो जाते हैं। खासकर उनकी गतिविधियों और इच्छाओं को लेकर। जब आपका बच्चा अपनी इच्छा जताने लगे कि उसे क्या पहनना अच्छा लगता है और क्या नहीं, तो सावधानी बरतें। कुछ संकेत हैं जिन्हें पेरेंट्स को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए। यह भी संभव है कि ये ट्रांसजेंडर होने के संकेत हों।
एक बच्चे के लिए यह समझना मुश्किल हो जाता है कि उसके पेरेंट्स उसे वही बाथरूम यूज़ करने के लिए क्यों कहते हैं, जो जेंडर स्पेसिफिक है। अगर आपका बच्चा उस वॉशरूम को यूज़ करने से मना करे, जिसे असल में उसे यूज़ करना चाहिए और इसके बजाय घंटों तक टॉइलट को रोके रखता है, तो यह ट्रांसजेंडर होने का एक संकेत हो सकता है।
शुरुआत में पेरेंट्स अपने बच्चों को अपने हिसाब से तैयार करते हैं। अपनी पसंद के कपड़े पहनाते हैं, लेकिन जब बच्चे बड़े होने लगते हैं तो फिर वे अपनी पसंद के हिसाब से कपड़ों से लेकर खाने-पीने तक का चुनाव करने लगते हैं, लेकिन इन संकेतों को भी नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए। अगर आपकी बेटी यह कहे कि उसे फ्रॉक या लड़कियों वाली ड्रेस पहनना बिल्कुल पसंद नहीं या फिर आपका बेटा लाइलैक और पिंक जैसे रंगों की तरफ आकर्षण दिखाए, तो सावधान हो जाइए।
अगर बच्चा ट्रांसजेंडर है तो फिर वह कुछ ऐसे संकेत देता है, जिनसे आप तुरंत ही उसके सेक्सुअल ओरिएंटेशन के बारे में समझ जाएंगे। जैसे कि एक ट्रांसजेंडर बच्चा यह कहने के बजाय कि काश मैं एक लड़की होता, यह कहेगा कि वह एक लड़की है।
कुछ बच्चे अपने प्राइवेट पार्ट्स को लेकर गुस्सा और चिड़चिड़ापन दिखाते हैं। यानी उन्हें अपने जेंडर को लेकर कोई खुशी नहीं होती।
भले ही आप इस पर ध्यान न देते हों क्योंकि ये बातें बेहद कॉमन हैं पर यही आगे चल कर समस्या बन जाती हैं। ऊपर बताए इन संकेतों से आपको अपने बच्चे और उसकी गतिविधियों को करीब से जानने में मदद मिल सकती है। हालांकि इन संकेतों के अलावा ज़रूरी है कि जब ऐसी स्थिति बार-बार सामने आए तो किसी एक्सपर्ट से सलाह लें।
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