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न्यायाधीश तरलोक चौहान बने Himachal High Court के वरिष्ठतम न्यायाधीश
Last Updated on March 14, 2020 by Deepak
शिमला। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान (Justice Tarlok Chauhan)हिमाचल हाईकोर्ट (Himachal High Court)के वरिष्ठतम न्यायाधीश बन गए हैं। नौ जनवरी, 1964 को रोहड़ू के फरोग गांव में जन्मे न्यायाधीश चौहान की शिमला के बिशप कॉटन स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा हुई। बाद में इन्होंने डीएवी कॉलेज चंडीगढ़ से ऑनर्स के साथ स्नातक,पंजाब विवि चंडीगढ़ से कानून की डिग्री ग्रहण की।
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वर्ष 1989 में वकालत शुरू करने के साथ ही राज्य विद्युत बोर्ड लिमिटेड व राज्य नागरिक आपूर्ति निगम के अलावा कई बोर्डों, निगमों, वित्तीय संस्थानों, सार्वजनिक और निजी कंपनियों, शैक्षिक संस्थानों और सहकारी समितियों व विभिन्न विभागों के कानूनी सलाहकार रहे। 23 फरवरी 2014 को हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश बनने के बाद 30 नवंबर 2014 को हाईकोर्ट के स्थायी न्यायाधीश बनाए गए।आजतक के कार्यकाल के दौरान इन्होंने 41,600 मामलों का निपटारा कर दिया। जिनमें कई अहम व एतिहासिक निर्णय भी सुनाए गए।
तरलोक सिंह चौहान ने 5 मई 2014 से हाईकोर्ट की जुवेनाइल जस्टिस कमेटी के अध्यक्ष रहते बाल / बालिका आश्रम, हिमाचल के अस्पताल, मानसिक स्वास्थ्य और पुनर्वसन शिमला और हिमाचल प्रदेश के वृद्धाश्रम के बच्चों के कल्याण और हित के लिए कार्य किया। विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में भाग लेने के अलावा 21फरवरी 2020 से 23 फरवरी 2020 तक”न्यायपालिका और बदलती दुनिया” विषय पर भारत के सर्वोच्च न्यायालय, नई दिल्ली में आयोजित सम्मेलन का हिस्सा रहे। जिसमे ये तीन उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों में से एक सदस्य थे। 13 से 17 मई, 2019 तक रोमानिया में आयोजित “बच्चों के लिए देखभाल और सुरक्षा सेवाओं के सुधार” पर ध्यान केंद्रित करने के साथ अंतरराष्ट्रीय शिक्षण विनिमय कार्यक्रम का हिस्सा रहे। ये हाईकोर्ट से ऐसे पहले न्यायाधीश है जिन्होंने विदेशों में आयोजित किसी ऐसे अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लिया है। न्यायाधीश चौहान 12 नवंबर 2016 से गवर्निंग काउंसिल के और हिमाचल प्रदेश नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, शिमला की कार्यकारी परिषद के सदस्य के रहे ।
18 नवंबर 2018 से 13 मार्च 2020 तक तरलोक सिंह चौहान न्यायिक अकादमी के अध्यक्ष रहे। हाईकोर्ट में कंप्यूटर और ई-कोर्ट कमेटी के प्रमुख के कारण हाईकोर्ट के साथ साथ अधीनस्थ न्यायालयों में कम्प्यूटरीकरण ने नई ऊंचाइयों को बढ़ाया।