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Kaaphal Fruit: काफल न सिर्फ स्वादिष्ट होता है बल्कि यह कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियों की रोकथाम में भी सहायक होता है। यह फल वर्ष में मात्र दो महीनों ही मिलता है। यह प्राकृतिक गुणों से भरपूर व लाईलाज बीमारियों की रोकथाम के लिए कारगर सिद्ध होता है। काफल को कठफल भी कहा जाता है। यह फल हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के जंगलों में 15 से अढ़ाई हजार मीटर की उंचाई पर पाया जाता है। इसके पेड़ जंगल में प्राकृतिक रूप से पाए जाते हैं और इन पेड़ों पर वर्ष में सिर्फ एक बार ही यह फल लगता है। छोटे-छोटे दानों वाला यह फल कई औषधिय गुणों को छुपाए हुए है।
क्षेत्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान मंडी के डॉ. विकास नरयाल का कहना है कि काफल में भारी मात्रा में मल्टीविटामिन और एंटी ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं जो गर्मी के कारण लगने वाली लू से बचाव करते हैं। तपती गर्मी से झुलस रहे व्यक्ति को काफल खिलाने से तुरंत आराम मिलता है।
काफल के पेड़ की छाल का इस्तेमाल कई प्रकार की औषधी को बनाने में किया जाता है। काफल के बाहर एक रसीली परत होती है, जबकि अंदर एक छोटी सी सख्त गुठली। इस फल को गुठली सहित खाया जाता है। यह जंगल में प्राकृतिक तौर पर ही पाया जाता है। वर्ष भर लोग काफल के सीजन का इंतजार करते हैं और इसे अच्छे खासे दामों पर खरीदते भी हैं। सीजन की शुरूआत में इस फल के दाम 400 रुपए प्रतिकिलो होते हैं, जबकि सीजन के अंत तक 50 रुपए प्रतिकिलो तक बेचा जाता है।
मंडी
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