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चंपानेर-पावागढ़ एक युनेस्को विश्व धरोहर स्थल है, जो कि भारत में स्थित है। इसे इस सूची में सन 2004 में सम्मिलित किया गया था। यहां वृहत स्तर पर उत्खनित पुरातात्विक, ऐतिहासिक एवं जीवित सांस्कृतिक धरोहर सम्पत्ति की बहुतायत है, जो कि एक प्रभावशाली भूखण्ड में सिमटी हुई है। इसमें एक प्राचीन हिंदू राज्य की राजधानी का एक महल, किला व सोलहवीं शताब्दी के गुजरात प्रदेश की राजधानी के अवशेष हैं। यहां किले, प्रासाद, धार्मिक इमारतें, आवासीय अहाते, कृषि चिह्न व जल आपूर्ति निर्माण कार्य के आठवीं शताब्दी से लेकर चौदहवीं शताब्दी तक के अनेक स्थल हैं।
पावागढ़ पहाड़ी के शिखर पर बना कालिका माता मंदिर अति पावन स्थल माना जाता है। काली माता का यह प्रसिद्ध मंदिर मां के शक्तिपीठों में से एक है। इसको बेहद पूजनीय और पवित्र माना जाता है। यहां की एक खास बात यह भी है कि यहां दक्षिण मुखी काली मां की मूर्ति है, जिसकी दक्षिण रीति से अर्थात तांत्रिक पूजा की जाती है। इस पहाड़ी को गुरु विश्वामित्र से भी जोड़ा जाता है। कहा जाता है कि गुरु विश्वामित्र ने यहां काली मां की तपस्या की थी। यह भी माना जाता है कि काली मां की मूर्ति को विश्वामित्र ने ही प्रतिष्ठित किया था।
यहां बहने वाली नदी का नामकरण भी उन्हीं के नाम पर ‘विश्वामित्री’ किया गया है। कहते है कि पहले नवरात्रों में गरबा के वक्त मां काली भी उस सामूहिक नृत्य में आती थीं। एक बार यहां के राजा ने उनकी सुंदरता पर मोहित होकर उनका आंचल खींचना चाहा तो काली प्रकट होकर उन्हें श्राप दे गई कि तू और तेरा राज्य नष्ट हो जाएगा और वैसा ही हुआ। विजयी मुस्लिम शासक ने पहाड़ पर सारा विनाश कर दिया और निचले हिस्से में अहमदाबाद बसाया गया। नवरात्र के समय इस मंदिर में श्रद्धालुओं की खासी भीड़ उमड़ती है। लोगों की यहां गहरी आस्था है। उनका मानना है कि यहां दर्शन करने के बाद मां उनकी हर मुराद पूरी कर देती है।
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