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हिमाचल का ये जिला बना MGNREGA का Role Model, 71 प्रतिशत कार्य दिवस महिलाओं ने किए सृजित
Last Updated on July 26, 2020 by saroj patrwal
धर्मशाला। कोरोना (Corona) संकट काल में पूरे हिमाचल के लिए कांगड़ा मनरेगा के कार्यान्वयन में रोल मॉडल (Role Model) बनकर उभरा है। ग्रामीण विकास और आर्थिक सशक्तिकरण का पर्याय बन चुके मनरेगा MGNREGA) में गांव की सड़क, पानी एवं मूलभूत सुविधाओं से जुड़ी समस्याओं का समाधान संभव हो पाया है। मनरेगा में महिलाओं को रोज़गार उपलब्ध करवाने, मजदूरी का समय पर भुगतान करने, कार्य दिवस सिक्योर साफ्टवेयर तकनीक का उपयोग करने, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, सिंचाई सम्बन्धित कार्य करने, मनरेगा जॉब कार्ड (MGNREGA job card) का सत्यापन करने की पहल में कांगड़ा जिला पूरे प्रदेश भर में अव्वल आंका गया है। वर्ष 2020-21 में जुलाई माह के अंत तक 1304819 मजदूरी दिवस के सृजन के लक्ष्य को पूरा कर कांगड़ा में अभी तक कुल 13,59,690 मजदूरी दिवस सृजित हो चुके हैं । इसमें से 71 प्रतिशत कार्य दिवस महिलाओं द्वारा सृजित किए गए हैं । इन कार्यदिवसों के एवज में मज़दूरों को 26.38 करोड़ की राशि भुगतान की जा चुकी है जिसमें से अधिकतम लाभ महिलाओं को मिला है। इसके अलावा 13.13 करोड़ की राशि मटीरीयल भुगतान के रूप में जा चुकी है।
मनरेगा में अभी तक 65,551 परिवारों को रोज़गार मिला है, जिसमें 15,661 परिवार अनुसूचित जाति से एवं 4409 परिवार अनुसूचित जनजाति से हैं । हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में कुल 897 दिव्यांग लोगों को मनरेगा रोजगार मिला है, जिसमें से सर्वाधिक कांगड़ा जिला में 381 दिव्यांग व्यक्तियों को रोजगार (Rozgar) मिला है । मजदूरी का भुगतान मस्टर रोल क्लोज होने के 8 दिन में सुनिश्चित किया जा रहा है। कांगड़ा में समय पर मजदूरी भुगतान का 97.56 प्रतिशत है जो प्रदेश के औसत 92.86 प्रतिशत से बेहतर है। इस तरह जिला कांगड़ा में कार्य दिवस सृजन और मजदूरी भुगतान में सामाजिक न्याय के पहलुओं का ख्याल रखा जा रहा है। मनरेगा के अंतर्गत सरकारी आवास योजनाओं का लाभ ले रहे लाभार्थियों को 95 कार्य दिवस का लाभ दिया जा सकता है। इस वर्ष हिमाचल प्रदेश में आवास योजनाओं में सृजित 1425 कार्यदिवसों में कांगड़ा में सर्वाधिक 861 कार्य दिवस सृजित किए गए हैं । मनरेगा के अंतर्गत इस वर्ष प्रदेश में स्वीकृत 123 शौचालयों में से 113 का निर्माण जिला कांगड़ा में शुरू किया गया है ।
एस्टिमेट बनाने के लिए तकनीकी स्टाफ की जवाबदेही
मनरेगा योजना में एस्टिमट बनाते समय सरकारी धन के दुरुपयोग की संभावनाओं को कम करने के लिए सरकार ने वर्ष 2018 में सिक्योर साफ्टवेयर को लागू किया गया था। सेक्योर साफ्टवेयर में एस्टिमेट बनाने के लिए तकनीकी स्टाफ की जवाबदेही तय हो जाती है और साथ ही पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता आती है। किसी भी कार्य के लिए सरकार द्वारा निर्धारित तकनीकी रेट्स को साफ्टवेयर अपने आप उठाता है और उसमें किसी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है । पूरे प्रदेश में सेक्योर साफ्टवेयर के माध्यम से चल रहे 43,562 कार्यों में से कांगड़ा जिले में सर्वाधिक 14190 काम सेक्योर साफ्टवेयर के माध्यम से चलाए गए हैं और सरकारी धन के दुरुपयोग को घटाने के लिए सेक्योर साफ्टवेयर के उपयोग पर बल दिया जा रहा है। मनरेगा के अंतर्गत एक महत्वपूर्ण प्रमाण है प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन से संबंधित किए जाने वाले काम। प्रदेश में पूर्ण हुए 7350 ऐसे कामों में से सर्वाधिक 1964 कार्य कांगड़ा में पूरे हुए हैं और इस वर्ग में चले रहे 35494 कार्यों में से भी सर्वाधिक 9039 कार्य कांगड़ा में चल रहे हैं ।
मनरेगा के कुल खर्चे का 13.47 प्रतिशत खर्च हुआ
कांगड़ा का बहुत सारा कृषि योग्य क्षेत्र बारिश पर निर्भर है। इस वर्ष में मनरेगा के अंतर्गत सिंचाई से संबंधित चालू कार्यों में प्रदेश में मनरेगा के कुल खर्चे का 13.47 प्रतिशत खर्च हुआ है वहीं कांगड़ा जिला में यह खर्च 27.77 प्रतिशत है, सिंचाई सम्बंधित कार्यों में प्रदेश में 35.03 करोड़ के कुल खर्चे में से 12.09 करोड़ अकेले कांगड़ा में खर्च हुआ है, इसके अतिरिक्त मनरेगा योजना में अन्य विभागों की स्कीमों के साथ कन्वर्जेन्स करने पर बल दिया जा रहा है । जहां वर्ष 2019-20 में कन्वर्जेन्स कार्यों पर खर्च की गई राशि 3.27 करोड़ थी वहीं वर्ष 2020-21 में जिला कांगड़ा (Kangra) में अभी तक 2.31 करोड़ की राशि कन्वर्जेन्स के कार्यों पर व्यय की जा चुकी है जिसमें बाग़वानी विभाग का शिवा प्रोजेक्ट भी शामिल है । एडीसी कांगड़ा राघव शर्मा ने कहा कि जिला कांगड़ा में ही इसी वर्ष कृषि, बागवानी और पशु पालन से जुड़े कार्यों की स्वीकृति से जुड़ी प्रक्रिया को मनरेगा समग्र के अंतर्गत सरल किया गया है और 2786 व्यक्तिगत कार्य चले हुए हैं । जिला कांगड़ा ने सभी मनरेगा जॉब कार्ड के सत्यापन और अद्यतन की प्रक्रिया आरम्भ करने में भी सबसे पहले कदम उठाया है। मनरेगा के अंतर्गत कांगड़ा प्रदेश का अग्रणी जिला बनकर उभर रहा है।
डीसी कांगड़ा राकेश कुमार प्रजापति ने कहा कि कोविड-19 से उत्पन्न परिस्थिति में जहां रोजगार के अवसर कम होने से बड़ी संख्या में प्रदेश से बाहर के लोग में वापिस आये हैं। ऐसे स्थिति में मनरेगा के माध्यम से बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार उपलब्ध करवाने में सफलता मिली है। उन्होंने कहा कि कांगड़ा में मनरेगा के अंतर्गत कार्य दिवस सृजित करने के लक्ष्य के साथ ही प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन एवं कन्वर्जेन्स कार्यों को बढ़ावा देना, शौचालय निर्माण, सिंचाई के कार्यों, आवास योजना के लाभार्थियों एवं सर्वाधिक महिलाओं और दिव्यांगों को मनरेगा से जोड़कर सामाजिक न्याय से जुड़े पहलुओं का भी ध्यान रखा जा रहा है ।