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जलाशय के किनारे से गुजरती है ये रेल
Last Updated on January 30, 2020 by
कांगड़ा घाटी रेल लाइन का सफर बेहद सुहावना है। महाराणा प्रताप सागर जलाशय के किनारों को छूती हुई ये रेल लाइन पठानकोट से जोगिंद्रनगर तक को जोड़ती है। रास्ते भर में बेहद खूबसूरत पहाड़ियां, नाले सफर के रोमांच को बढ़ाते हैं। मई 1926 में रेलवे लाइन की योजना बनी और 1929 में चालू की गई। इस लाइन की दो सुरंगें हैं, जिनमें से एक 250 फीट (76 मीटर) और दूसरी 1,000 फीट (300 मीटर) लंबी है।
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इस नैरो गेज लाइन की ट्रेनों को ब्रॉड गेज मेन लाइन की तुलना में छोटे और कम शक्तिशाली इंजन द्वारा खींचा जाता है, इसलिए खड़ी चढ़ाई से बचना पड़ता था। जब महाराणा प्रताप सागर का निर्माण किया गया था तो नए जलाशय के पूर्वी किनारे के साथ लाइन को जवांवाला शहर और गुलेर के बीच ऊंचे मैदान में मोड़ना पड़ा था। वर्ष 1973 में, अनुर, जगतपुर और मंगवाल स्टेशनों के साथ इन दो स्टेशनों के बीच का खंड छोड़ दिया गया था और कई नए स्टेशनों के साथ नया रेलखंड तीन साल बाद खोला गया।