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नई दिल्ली। कर्नाटक (Karnataka) में विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद से शुरू हुआ सत्ता का नाटक अभी तक थमने का नाम नहीं ले रहा है। शनिवार को 12 विधायक (MLA) इस्तीफा देने के लिए विधानसभा पहुंच गए हैं। इसमें से 11 विधायकों ने स्पीकर के मौजूद नहीं होने पर विधानसभा सचिव को इस्तीफा सौंप दिया। इन विधायकों में 9 कांग्रेस (Congress) के हैं, जबकि तीन विधायक जनता दल सेकुलर (जेडीएस) (JDS) के हैं। इन इस्तीफ़ों की वजह से ये भी माना जा रहा है कि कर्नाटक में बीजेपी का ‘ऑरेशन लोटस’ सफल हो गया है। वहीं विधायकों के इस्तीफे के बाद कर्नाटक सरकार अल्पमत में आ गई है।
इस मसले पर बीजेपी (BJP) के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा ने 11 विधायकों के इस्तीफे पर कहा कि विधायकों को लगता है कि इस पार्टी (कांग्रेस-जेडीएस) से बाहर आने का यह बेहतर मौका है। इसीलिए इन लोगों ने इस्तीफा दिया है, क्योंकि उन्हें लगता है कि विधायक के रूप में बने रहे राज्य और और उनके निर्वाचन क्षेत्र के लिए अच्छा नहीं है। गौड़ा ने कहा कि राज्यपाल के पास सर्वोच्च अधिकार है, संवैधानिक जनादेश के अनुसार यदि वह हमें बुलाते हैं, तो निश्चित रूप से हम सरकार बनाने के लिए तैयार हैं। हम सबसे बड़ी पार्टी हैं, हमारे पास 105 विधायक हैं। बीजेपी नेता जीवीएल नरसिम्हा राव ने कर्नाटक के घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा कि कर्नाटक की गठबंधन सरकार बीमार है। हम हर घटनाक्रम पर नजर रखे हुए हैं।
कर्नाटक में कुल 224 विधानसभा सीटें हैं, बहुमत के लिए 113 विधायक चाहिए। फिलहाल बीजेपी के 105 विधायक हैं। जबकि कांग्रेस के पास 80 और जेडीएस के पास 37 विधायक हैं। इस तरह से दोनों के पास कुल 117 विधायक हैं। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और निर्दलीय विधायक भी गठबंधन का समर्थन कर रहे हैं। शनिवार को कांग्रेस-जेडीएस के 11 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है। आंकड़ों में अब कुमारस्वामी सरकार के पास 103 विधायक बच जाते हैं। इसके अलावा एक बीएसपी विधायक का समर्थन भी सरकार को मिला हुआ है। ऐसे में यह बात बड़ी आसनी से साफ हो जाती है कि सरकार अब अल्पमत में आ सकती है।
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