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जाने और समझें जल और ज्योतिष शास्त्र का संबंध
Last Updated on February 16, 2020 by Deepak
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सभी बारह राशियों को तत्वों के आधार पर चार भागों में बांटा गया है। ये चार तत्व अग्नि,पृथ्वी, वायु तथा जल है। जो राशि जिस तत्व में आती है उसका स्वभाव भी उस तत्व के गुण धर्म के अनुसार हो जाता है। कर्क, वृश्चिक एवं मीन राशि का तत्व जल है। जल-तत्व में ग्रहण करने की क्षमता होती है, इसलिए जल-तत्व प्रधान राशियों में आत्मविश्लेषण, खोज एवं ग्रहण करने का विशेष गुण होता है। इन तीन रशियों में जल के स्वभाव भी हैं। साथ ही इन राशियों का चंद्रमा से गहरा संबंध होता है। जल तत्त्व से संबंध रहने के कारण इन राशियों में ज्ञान, उदारता और कल्पना शक्ति की अधिकता होती है। ऐसा माना जाता है कि ये राशियां जिस कार्य में जुट जाती हैं, उसमें सफलता की प्रबल संभावना होती है।
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- जल शरीर में पोषण संचार का कारक है और शुक्राणु जल में जीवित रहकर सृष्टि के विकास तथा निर्माण में सहायक होता है। अत: जल तत्व की कमी से आलस्य और तनाव उत्पन्न कर शरीर की संचार व्यवस्था पर विपरीत प्रभाव डालती है।
आप अपने घर अपने वाले मेहमानों को आप ठंडा पानी पिलाकर राहु को सही रख सकते हो।रोज सुबह उठकर घर में लगे पौधों को पानी देने से आपकी कुंडली में बुध, शुक्र, सूर्य और चंद्रमा ग्रह अच्छे परिणाम देंगे।
- घर का मंदिर किसी भी स्थिति में गंदा नहीं होना चाहिए। यदि ऐसा है तो आपका बृहस्पति कभी भी शुभ फल नहीं दे सकता।
- आपके घर का मंदिर हर हाल में साफ-सुथरा रहना चाहिए।
- देर रात तक जागने से चंद्रमा के अशुभ फल मिलते हैं।
- बाथरूम में अनावश्यक पानी बिखेरना और गंदे कपड़े रखने से चंद्रमा रुष्ट रहता है। इससे चंद्रमा से कभी शुभ फल नहीं मिलता।
आज जानिए जल तत्व की अधिकता वाले जातकों के बारे में। इन राशियों का चंद्रमा से गहरा संबंध होता है. जल तत्त्व से संबंध रहने के कारण इन राशियों में ज्ञान, उदारता और कल्पना शक्ति की अधिकता होती है ऐसा माना जाता है कि ये राशियां जिस कार्य में जुट जाती हैं, उसमें सफलता की प्रबल संभावना होती है। जल तत्त्व से संबंधित राशियों से जुड़ी रोचक बातेंः
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जल तत्व की पहली राशि कर्क है इस राशि का स्वामी ग्रह चंद्रमा है साथ ही यह राशि चंचल और सुंदर भी होती है. इस राशि में कल्पना, दया, सुन्दरता और ज्ञान ये चार गुण विशेष रूप से मौजूद होते हैं। यह चर राशि हैं। स्ञी गुण प्रधान, जल स्वभाव, लाल श्वेत मिश्रित वर्ण वाली, उच्चाभिलाषी, प्रगतिशील, गुर्दे, पेट का कारक राशि हैं। इसका स्वामी चन्द्रमा होता हैं।
इस राशि का एक कमजोर पक्ष भावुकता है इस राशि का वैवाहिक जीवन या प्रेम का जीवन अच्छा नहीं होता है. ज्योतिष के जानकारों के मुताबिक इस राशि कि ज्योतिषीय सलाह पर ओपल अथवा मोती धारण करना अच्छा होता है साथ ही शिव की उपासना करने से लाभ मिलते हैं।
जल तत्त्व की दूसरी राशि वृश्चिक है इस राशि का स्वामी मंगल है इस राशि का चंद्रमा बहुत कमजोर होता है. इस राशि में कला, लेखन, शिक्षा और राजनीति का अच्छा ज्ञान होता है ऐसा देखा गया है कि इस राशि के लोग अच्छे डॉक्टर भी होते हैं.ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस राशि वालों को प्रायः माता का सुख नहीं मिलता है। यह राशि एक स्थिर राशि हैं।यह राशि अर्ध जल राशि होने से दम्भी, जिद्दी, स्वाभिमानी, क्रूर और स्ञी के गुप्त अंगों की कारक राशि हैं। यह उत्तर दिशा की राशि हैं।
इसके अलावा इस राशि वाले जातकों को जीवनसाथी अच्छा मिलता है इस राशि के जातकों में सबसे बड़ा अवगुण दूसरों से प्रतिशोध लेना होता है इस राशि के जातकों को ज्योतिषीय सलाह पर माणिक अथवा मूंगा धारण करना अच्छा होता है.
जल तत्त्व की तीसरी राशि मीन है।मीन राशि का स्वामी देव गुरु बृहस्पति हैं। इस राशि का चंद्रमा संतुलित होता है इस राशि में ज्ञान, कला और शिक्षा का अच्छा ज्ञान होता है इस राशि के लोग अच्छे हीलर होते हैं। यह राशि द्विस्वभावी राशि हैं। उत्तर दिशा की स्वामी, जल तत्व, दया, दाद की प्रतीक हैं। इस राशि के द्वारा पैरों का विचार किया जाता हैं। इस राशि का स्वामी गुरु होता हैं।
इस राशि के जातक प्रायः युवावस्था में भटक जाते हैं लेकिन बाद में सही राह पर आकर खूब तरक्की करते हैं इनकी तरक्की का अनुमान लगाना मुश्किल हो जाता है इस राशि में एक अवगुण होता है कि ये सब चीज को पसंद करते हैं ज्योतिषीय सलाह पर इन्हें पुखराज, मोती या पन्ना धारण करना चाहिए।
जल तत्व राशि या लग्न होने पर रुद्राभिषेक , जल में दूध प्रवाहित करना जैसे जल सम्बंधित उपाय ओर टोटके लाभकारी सिद्ध होते है।