- Advertisement -
दान एक ऐसा कार्य है, जिसके जरिए हम न केवल धर्म का ठीक-ठीक पालन कर पाते हैं बल्कि अपने जीवन की तमाम समस्याओं से भी निकल सकते हैं। आयु, रक्षा और सेहत के लिए तो दान को अचूक माना जाता है। जीवन की तमाम समस्याओं से निजात पाने के लिए भी दान का विशेष महत्व है। दान करने से ग्रहों की पीड़ा से भी मुक्ति पाना आसान हो जाता है।
जब ज्योतिषियों द्वारा किसी व्यक्ति विशेष की जन्म पत्रिका का आंकलन करने के बाद, जीवन में सुख, समृद्धि एवं अन्य इच्छाओं की पूर्ति हेतु दान कर्म करने की सलाह दी जाती है तो दान किसी वस्तु का, भोजन का और यहां तक कि महंगे आभूषणों का भी किया जाता है।
जो व्यक्ति प्रतिदिन विधिपूर्वक अन्नदान करता है वह संसार के समस्त फल प्राप्त कर लेता है। अपनी सामर्थ्य एवं सुविधा के अनुसार कुछ न कुछ अन्नदान अवश्य करना चाहिए। इससे परम कल्याण की प्राप्ति होती है।
विशेष रूप से अन्न का दान जीवन में सम्मान का कारक होता है। अतः जरूरतमंदों को अन्न का दान करना चाहिए, अन्न दान से समस्त पापों की निवृत्ति होकर इस लोक और परलोक में सुख प्राप्त होता है।
अलग -अलग वस्तुओं के दान से अलग-अलग समस्याएं दूर होती हैं, लेकिन बिना सोचे-समझे गलत दान से आपका नुकसान भी हो सकता है। कई बार गलत दान से अच्छे ग्रह भी बुरे परिणाम दे सकते हैं। ज्योतिष के जानकारों की मानें तो वेदों में भी लिखा है कि सैकड़ों हाथों से कमाना चाहिए और हजार हाथों वाला होकर दान करना चाहिए।
कीर्तिभवति दानेन तथा आरोग्यम हिंसया त्रिजशुश्रुषया राज्यं द्विजत्वं चाऽपि पुष्कलम।
पानीमस्य प्रदानेन कीर्तिर्भवति शाश्वती अन्नस्य तु प्रदानेन तृप्तयन्ते कामभोगतः।।
दान से यश, अहिंसा से आरोग्य तथा ब्राह्मणों की सेवा से राज्य तथा अतिशय ब्रह्मत्व की प्राप्ति होती है। जलदान करने से मनुष्य को अक्षय कीर्ति प्राप्त होती है। अन्नदान करने से मनुष्य को काम और भोग से पूर्ण तृप्ति मिलती है। दानी व्यक्ति को जीवन में अर्थ, काम एवं मोक्ष सभी कुछ प्राप्त होता है। कलयुग में कैसे भी दिया गया दान मोक्षकारक होता है।
अन्नदान को सर्वश्रेष्ठ एवं पुण्यदायक माना गया है। धर्म में अन्नदान के बिना कोई भी जप, तप या यज्ञ आदि पूर्ण नहीं होता है। अन्न एकमात्र ऐसी वस्तु है जिससे शरीर के साथ-साथ आत्मा भी तृप्त होती है। इसीलिए कहा गया है कि अगर कुछ दान करना ही है तो अन्नदान करो। अन्नदान करने से बहुत लाभ होता है। चलिए आपको बताते हैं आखिर क्यों करना चाहिए अन्नदान या अन्नदान के लाभ के बारे में।
दान हमेशा अपनी इच्छा से करना चाहिए। किसी दबाव में किया गया दान कभी शुभ परिणाम नहीं देता।
दान में जो भी वस्तुएं दी जाएं, वे हमेशा उत्तम श्रेणी की होनी चाहिए या कम से कम वैसी तो हों ही, जैसी आप खुद प्रयोग करते हों। निम्न श्रेणी की वस्तुओं का दान नहीं करना चाहिए।
दान हमेशा उसी व्यक्ति को करें, जो अभावग्रस्त हो और पात्र हो। कुपात्र और संपन्न व्यक्ति को दान करना फलदायी नहीं होता।
अगर दान ब्राह्मण को करना हो तो ध्यान रखें कि ब्राह्मण सात्विक, सदाचारी तथा भगवान का भक्त हो। कुसंस्कारी ब्राह्मण को दान देना निष्फल होता है।
अगर आपको ग्रहों के लिए दान करना है तो उसी ग्रह का दान करें, जो कष्टकारक हो। अनुकूल ग्रहों के लिए दान करना आपको संकट में डाल सकता है।
बाहरी व्यक्ति को दान देने के पूर्व विचार कर लें कि कहीं आपके परिवार में कोई अभाव में तो नहीं है। पहले अपने ऊपर आश्रित की व्यवस्था करें, तब दान करें।
जीवन भर किए गए दुष्कर्मों से मुक्त होने के लिए दान ही सबसे सरल और उत्तम माध्यम माना गया है।
वेद और पुराणों में दान के महत्व का वर्णन किया गया है। यही कारण है कि हजारों वर्षों पुराने हिन्दू धर्म में आज भी विभिन्न वस्तुओं को दान करने के संस्कार का पालन किया जाता है। आजकल अमूमन दान कर्म ज्योतिषीय उपायों को मद्देनज़र रख कर किए जाते हैं।
- Advertisement -