अहोई अष्टमी : इस दिन क्या करें और क्या नहीं, पढ़े यहां
Update: Saturday, November 7, 2020 @ 4:12 PM
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को आने वाले इस व्रत को अहोई अष्टमी (Ahoi Ashtami) और अहोई आठे के व्रत के नाम से जाना जाता है। यह व्रत नि: संतान महिलाएं भी संतान प्राप्ति की कामना से रखती हैं। जिनकी संतान दीर्घायु नहीं होती हो या गर्भ में ही नष्ट हो जाती हो, उनके लिए भी यह व्रत बहुत ज्यादा ही शुभकारी होता है। यह व्रत भी करवा चौथ (Karva Chauth) की तरह ही निर्जल रहकर किया जाता है, लेकिन इस दिन महिलाएं चांद की जगह तारों को अर्घ्य देती हैं। आज हम आपको बता रहे हैं कि कि अहोई अष्टमी पर क्या करें और क्या न करें।

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अहोई अष्टमी के दिन अहोई माता की पूजा करने से पहले भगवान गणेश की पूजा अवश्य करें। क्योंकि भगवान गणेश की पूजा के बिना कोई भी पूजा पूर्ण नहीं होता।
- अष्टमी का व्रत निर्जल रहकर किया जाता है। ऐसा करने से संतान की आयु लंबी होती है और उसे समृद्धि प्राप्त होती है।
- अष्टमी के दिन पूजा में प्रयोग किया जाने वाला करवा नया नहीं होना चाहिए। बल्कि आपको इस दिन करवा चौथ वाले करवे का ही पूजा में प्रयोग करना चाहिए।
- तारों के अर्घ्य देना चाहिए। ऐसा करने से संतान की आयु लंबी होती है और जिन्हें संतान सुख की प्राप्ति नही हुई है। उन्हें संतान सुख की प्राप्ति होती है।
- व्रत कथा सुनते समय सात प्रकार का अनाज अपने हाथों में रखें और पूजा के बाद इस अनाज को किसी गाय को खिला दें।पूजा करते समय अपने बच्चों को अपने पास बैठाएं और अहोई माता को भोग लगाने के बाद वह प्रसाद अपने बच्चों को खिलाएं।
- मिट्टी को बिल्कुल भी हाथ न लगाएं और न ही इस दिन खुरपी से कोई पौधा भी उखाड़े। किसी निर्धन व्यक्ति को दान अवश्य दें। शास्त्रों के अनुसार किसी भी व्रत के बाद देने दक्षिणा देने से उस व्रत के पूर्ण फल प्राप्त होते हैं। पूजन के बाद किसी ब्राह्मण या गाय को भोजन अवश्य कराएं और उनका आर्शीवाद प्राप्त करें।

अहोई अष्टमी पर न क्या करें
- अहोई अष्टमी के दिन किसी भी प्रकार से अपने घर में कलेश न करें। क्योंकि ऐसा करने से अहोई माता नाराज हो जाती हैं और आपको मनोवांच्छित फल की प्राप्ति नही होती।
- अष्टमी के दिन तारों अर्ध्य देते समय तांबे के लोटे का प्रयोग न करें। हमेशा स्टील या पीतल के लोटे का ही प्रयोग करें।
- दिन घर में तामसिक चीजों का प्रयोग बिल्कुल भी न करें। क्योंकि ऐसा करने से संतान की आयु छिन्न होती है।
- अष्टमी के दिन अपने या फिर किसी और के बच्चे को बिल्कुल भी न मारें। क्योंकि यह व्रत बच्चों के लिए रखा जाता है और ऐसा करने से अहोई माता नाराज हो जाती हैं।
- अहोई अष्टमी के दिन कैंची या सुईं का प्रयोग बिल्कुल भी न करें। क्योंकि शास्त्रों के अनुसार इन चीजों का प्रयोग वर्जित है। अपने से बड़े व्यक्ति का अपमान बिल्कुल भी न करें। क्योंकि बिना बड़ों के आशीर्वाद के आपको इस व्रत का फल प्राप्त नहीं हो सकता।
- व्रत कथा को एकाग्रचित होकर सुनें क्योंकि व्रत कथा का भी पूजा के बराबर ही महत्व होता है। इसलिए व्रत अहोई माता का आर्शीवाद प्राप्त करने के लिए व्रत की कथा को एकाग्र होकर अवश्य सुनें।