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BJP की कमान संभालने जा रहे Nadda का जाने सच्चा “प्रेम” कहां से हुई शुरूआत
Last Updated on January 20, 2020 by Deepak
नई दिल्ली। बीजेपी (BJP)की कमान संभालने जा रहे जेपी नड्डा (JP Nadda)के सच्चे प्रेम की कहानी बेहद रोचक है। नड्डा छोटे से पहाड़ी राज्य हिमाचल (Himachal) से ताल्लुक रखते हैं। वर्तमान में बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष का कार्यभार संभाल रहे नड्डा आज पार्टी के अध्यक्ष बनने जा रहे हैं। नड्डा के राजनीति सफर की शुरुआत वर्ष 1975 में जेपी आंदोलन से हुई थी। देश के सबसे बड़े आंदोलनों में गिने जाने वाले इस आंदोलन में जगत प्रकाश नड्डा ने भी भाग लिया था। इस आंदोलन में भाग लेने के बाद जेपी नड्डा बिहार अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP)में शामिल हो गए थे। इसके बाद उन्होंने 1977 में अपने कॉलेज में छात्र संघ का चुनाव लड़ा था और इस चुनाव को जीतकर वे पटना विश्वविद्यालय के सचिव बने थे। नड्डा 1977 से 1979 तक रांची में रहे हैं। उनके पिता एनएल नड्डा रांची विश्वविद्यालय के कुलपति व पटना विवि के प्रोफेसर थे।
HPU छात्र संघ के अध्यक्ष भी रहे
पटना विश्वविद्यालय से स्नातक करने के बाद नड्डा ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में एलएलबी की पढ़ाई की। वर्ष 1983 में पहली बार हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (HPU)के छात्र संघ चुनाव (SCA)में वह विद्यार्थी परिषद के बैनर तले अध्यक्ष चुने गए। इसके बाद प्रदेश की राजनीति में नड्डा आगे बढ़ते गए । हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले के गांव विजयपुर के मूल निवासी जेपी नड्डा वर्ष 1993 में विधानसभा का चुनाव लड़ने के बाद बीजेपी विधायक दल के नेता बने थे। वर्ष 1998 में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद नड्डा ने प्रेम कुमार धूमल के नाम का प्रस्ताव सीएम के तौर पर किया था। उस दौरान उन्हें हिमाचल प्रदेश में वन मंत्री बनाया गया पर उन्होंने बीच में ही उस पद को छोड़कर संगठन की राह पकड़ ली। दिल्ली में उन्हें संगठन में दायित्व मिला तो उन्होंने अपने को साबित भी किया। इसी दौरान जब नरेंद्र मोदी पहली मर्तबा पीएम बने तो नड्डा को स्वास्थय मंत्री बनाया गया साथ ही वह पार्टी महासचिव भी रहे। बीजेपी संसदीय बोर्ड का सचिव पद भी नड्डा के पास रहा। पिछले साल लोकसभा चुनाव के बाद उन्हें पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था, अब 20 जनवरी को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर उनकी ताजपोशी की जाएगी। बीजेपी ही उनका सच्चा प्रेम है,इस बात को वह स्वयं कह भी चुके हैं। इसकी शुरूआत एबीवीपी में एंट्री मारने के साथ ही हो गई थी।