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हो गई शुरूआतः शिमला के तारादेवी मंदिर में टौर के पत्तल में परोसा गया लंगर
Taur Pattal in Tara Devi Temple: शिमला के ऐतिहासिक तारादेवी मंदिर (Taradevi Temple)में आज श्रद्धालुओं को लंगर टौर के पत्तल में परोसा गया। डीसी शिमला अनुपम कश्यप (DC Shimla Anupam Kashyap) ने बताया कि अपनी संस्कृति और धरोहर को सहेजने की दिशा में संतुलित पर्यावरण (Balanced Environment) के लिए तारादेवी मंदिर में टौर के पत्तों से तैयार पत्तल में लंगर परोसा जा रहा है। उन्होंने कहा कि जिला ग्रामीण विकास प्राधिकरण के अधीन राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत सुन्नी खंड में कार्य कर रहे सक्षम क्लस्टर लेवल फेडरेशन ( Saksham cluster level federation)को यह पत्तल बनाने का जिम्मा दिया गया है। उन्हें प्रथम चरण में पांच हजार पत्तल बनाने का ऑर्डर दिया गया था।
पर्यावरण बचाने के लिए मददगार साबित होगी हरी पत्तल
डीसी ने कहा ग्रामीण अर्थव्यवस्था (Rural Economy)को मजबूत करने की दिशा में तथा स्वयं सहायता समूहों को रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने के लिए जिला प्रशासन(District Administration) पूरी तरह से प्रयास कर रहा है । उक्त फेडेरशन में 2900 से अधिक महिलाएं पत्तल बनाने का काम करती है, लेकिन पत्तलों की डिमांड कम होने के कारण उत्पादन अधिक नहीं करते थे। इस दिशा में अब प्रशासन ने फैसला लिया है कि जिला के सभी मंदिरों में हरी पत्तल में लंगर परोसा जाएगा। ऐसे में प्रथम चरण में तारादेवी मंदिर (Taradevi Temple) से शुरुआत की गई है। हरी पत्तल पर्यावरण को बचाने के लिए बहुत मददगार साबित होगी क्योंकि अन्य पेड़ों के पत्तों की तरह टौर के पत्ते भी गड्ढे में डालने से दो से तीन दिन के अंदर गल सड़ जाते हैं। लोग इसका उपयोग खेतों में खाद के रूप में भी करते हैं।
संजू