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इंसान व जानवरों की दोस्ती की कई मिसालें दी जाती है। जहां कुत्ता सबसे वफादार जानवर माना जाता है वहीं बंदर या व इंसान के किस्से भी कम नहीं है। कुछ समय पहले यूपी के शाहजहांपुर में भी पान खाने वाले लंगूर का किस्सा मशहूर हुआ था। लेकिन यहां हम बात कर रहे हैं कचौड़ी वाले व लंगूर (langur)की यारी की। मामला राजस्थान के भरतपुर ( Bharatpur of Rajasthan) का है। यहां पर एक लंगूर कचौड़ी वाले की दुकान ( Kachori shop) पर आता है और वह स्वादिष्ट कचौड़ी का नाश्ता करते चला जाता है। दोनों के बीच यह सिलसिला काफी समय से चल रहा है।
जब कभी कचौड़ी वाले की दुकान पर भीड़ होती है तो यह लंगूर बाकायदा अपनी बारी का इंतजार करता है और जब उसकी बारी आती है तो वह वह कचौड़ी खाकर चला जाता है। दुकानदार को भी लंगूर के आने का समय पता है। उसने इस लंगूर का नाम रखा है भोले। दुकानदार का कहना है कि वह लंगूर को हनुमानजी का स्वरुप मानता है। यह लंगूर कहां से आता है ये तो पता नहीं पर वह किसी को नुकसान नहीं पहुंचाता। ना ही लोग उसे देखकर डरते हैं। वह शांति से कचौड़ी खाता है और वापस चला जाता है। इतना ही नहीं आसपास के दुकान वाले भी उसे कुछ न कुछ खाने को देते हैं। दोनों की दोस्ती लोगों के लिए एक मिसाल है।
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