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Mukesh ने राज्यपाल को लिखा पत्र, सरकार से पूछा- क्या जरूरी था लाखों के Mobile खरीदना
शिमला। नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री (Mukesh Agnihotri) ने राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय को एक पत्र लिखा है। पत्र में कोरोना के कहर के इस दौर में कुछ संवेदनशील मामलों को उठाया है। राज्यपाल से हस्तक्षेप करते हुए उचित कार्रवाई की मांग की है। पत्र में लिखा गया है कि हिमाचल प्रदेश सरकार कोविड फंड (Covid Fund) का दुरुपयोग कर रही है। सरकार ने नियमों को धता बताते हुए कोविड के लिए आए पैसे में से करीब पौने दो लाख रुपये के मोबाइल फोन खरीदे हैं। इन मोबाइल फोन (Mobile Phone) की खरीद की क्या जरूरी थी। प्रदेश सरकार के अफसर आपदा की इस घड़ी में अपने फोन इस्तेमाल नहीं कर सकते थे। इसी तरह प्रदेश में सैनिटाइजर की खरीद में कथित तौर पर घपला हुआ है। पता चला है कि सैनिटाइजर निर्धारित दरों से ऊंची कीमत पर खरीदा गया है। ऐसी भी चर्चा है कि पीपीई किटों के नाम एक जगह रेनकोटों की सप्लाई की गई है। अगर ऐसा है तो यह बहुत बड़ी चूक है। यह कोरोना से लड़ रहे डॉक्टरों और अन्य स्टाफ के साथ सरासर धोखा है। इस मामले की फौरन जांच होनी चाहिए।
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आपदा की इस घड़ी में प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज(IGMC) शिमला के प्रिंसिपल डॉ. मुकंद को हटा दिया गया। डॉ. मुकंद विख्यात डॉक्टर और ईमानदार व्यक्ति हैं। सरकार को बताना चाहिए कि वैश्विक महामारी के समय में प्रदेश के सबसे बड़े चिकित्सा संस्थान के प्रमुख को क्यों और किसके दबाव में हटाया गया। यह बड़े शर्म की बात है कि सरकार ने कोरोना के खिलाफ जंग रहे योद्धाओं का वेतन काटा है। क्या सरकार बताएगी कि किन परिस्थितियों में महामारी से लड़ रहे डॉक्टरों, नर्सों, पैरामेडिकल स्टाफ, पुलिस आदि योद्धाओं का वेतन (Salary)काटा गया है, जबकि अन्य राज्यों में इन्हें प्रोत्साहन राशि देने की बात हो रही है। मंडी जिले के सरकाघाट से लाए गए कोरोना के मरीज के अंतिम संस्कार में अमानवीय तरीका क्यों अपनाया गया। परिजनों को संस्कार से दूर रखते हुए मृतक को लावारिश कैसे घोषित किया गया। मानवाधिकारों की धज्जियां उड़ाते हुए किसके आदेश से डीजल डालकर मृतक का संस्कार किया गया। यह कृत्य अमानवीय और निंदनीय है।
कोरोना के कारण घरों से बाहर यहां-वहां फंसे प्रदेश के लोगों की मदद करने के लिए जिन अधिकारियों को नोडल अफसर लगाया गया है वे जनता के फोन नहीं उठा रहे हैं। सरकार बताए कि फोन बंद करने, काल फारवर्ड करने या ड्यूटी बदलवाने वाले अफसरों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जा रही है। शराब को आवश्यक सामान की सूची में डालने की अधिसूचना जारी करने वाले अफसरों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है। कोरोना के दौर में सीमेंट के दाम बढ़ाने वाली कंपनियों के खिलाफ क्या कार्रवाई हुई है। प्रदेश से बाहर रहने वाले लोग निश्चित तौर पर अपने घर आएंगे।
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प्रदेश की सीमा पर बिना भेदभाव के उनके स्वास्थ्य की जांच करके और उन्हें उचित निर्देश देकर अपने-अपने घर जाने दिया जाए, लेकिन सीमा पर कुछ अफसर अपने लोगों को स्वास्थ्य जांच के बगैर प्रदेश में प्रवेश करा रहे हैं। सरकार बताए कि ऐसे अफसरों के खिलाफ क्या कार्रवाई हुई है? सरकार कोरोना के कारण पहले ही परेशान प्रदेश के लोगों को तंग करने से बाज नहीं आ रही है। प्रदेश के लोगों के खिलाफ दायर हजारों एफआईआर लोगों को तंग करने की सुबूत हैं। मुकेश अग्रिहोत्री ने राज्यपाल से आग्रह किया है कि इस दौरान प्रदेश के लोगों के नाम सरकारी संदेश देने के लिए डटी भारी-भरकम फौज की बजाय राज्य स्तर पर प्राधिकृत अधिकारी केंद्र की तर्ज पर लगाया जाए, ताकि सरकारी संदेश और निर्देश जनता को साफतौर पर मिल सकें।