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इस्लामिक देश बनने से पहले ईरान में ख़ास कर औरतों की जिंदगी बहोत ही बोल्ड और मर्दों के बराबर थी । ये बात ज़्यादा पुरानी नहीं है, अगर इतिहास के पन्ने पलटेंगे तो पाएंगे कि 70 के दशक में वहां की जिंदगी बहुत ही अलग थी। जैसे -जैसे इस्लाम का दबदबा बढ़ता गया, वहां की औरतों की जिंदगी में परिवर्तन भी होने लगा। अब ईरान में महिलाएं सार्वजनिक रूप से दिखाई देने पर अपने बालों, बांहों और गर्दन को ढक लेती हैं। ये सब ईरान में शरिया क़ानून आने के बाद शुरू हुआ हैं। अब महिलाओ को हिजाब में रहना जरुरी है, अगर वो हिजाब नहीं पहनती है तो उन्हें वहां की सरकार कड़ी सजा देती हैं।
चार दशक पहले की फिल्म, फैशन मैगज़ीन उठा कर देखते है तो पाते है कि वहां औरतो को मर्दो के बराबर का दर्ज़ा दिया जाता था। इस्लामिक क्रांति से पहले ईरान में पश्चिमी सभ्यता का बोल बाला था। अमेरिकी मॉडल्स की तरह यहां भी मॉडल्स होती थी। सागर किनारे तमाम लोग अपने मनचाहे कपड़े पहनकर में घुमा करते थे। उस समय कोई रोक-टोक नहीं थी। कला, संगीत, फिल्म और साहित्य को लेकर काफी जागरूक थे। आज, ईरान में महिलाओं को यहां तक कि विदेशियों को भी अपने बालों और गर्दन को दुपट्टे से ढकना पड़ता है। वे बिना हिजाब के नहीं घूम सकती। समय -समय पर अकसर वहां की महिलाएं “फ्री हिजाब” को लेकर प्रोटेस्ट करती रहती हैं ।
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