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Lockdown बढ़ा रहा तनाव: Covid-19 महामारी से वैश्विक स्तर पर मानसिक बीमारी का खतरा बढ़ेगा
Last Updated on May 14, 2020 by
नई दिल्ली। चीन के वुहान से उपजे कोरोना वायरस (Coronavirus) ने पूरी दुनिया के करीब 180 से अधिक देशों को अपनी चपेट में ले रखा है। इस दौरान अधिकांश देशों में महामारी के प्रसार पर लगाम लगाने के लिए लॉकडाउन (Lockdown) लगाया गया है। इस सब के बीच संयुक्त राष्ट्र (UN) ने इस महामारी के सम्बन्ध में एक बड़ी चेतावनी दी है। संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने गुरुवार को बताया कि एक मानसिक बीमारी (mental illness) का संकट मंडरा रहा है क्योंकि कोरोना वायरस महामारी के कारण दुनियाभर में लाखों लोगों को आइसोलेशन, गरीबी और चिंता में जीना पड़ रहा है।
मनोवैज्ञानिक परेशानियों से निपटने के लिए सरकारों, संस्थाओं को आगाह किया
डब्ल्यूएचओ (WHO) ने बताया, ‘आइसोलेशन, डर, अनिश्चितता और आर्थिक उथल-पुथल, ये सभी कारण मनोवैज्ञानिक परेशानियां पैदा करेंगे या कर सकते हैं।’ महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने मनोवैज्ञानिक परेशानियों से निपटने के लिए सरकारों, संस्थाओं को आगाह किया। लोगों को अपनों को खोने का दुख, नौकरी जाने का सदमा और अकेले रहने की आदत इसका बड़ा कारण हो सकता है। यह बीमारी उन परिवारों और समुदायों को ज्यादा प्रभावित कर सकती है, जो मानसिक रूप से तनाव में हैं।
लॉकडाउन में घरेलू विवाद बढ़ रहे हैं तो बच्चे भी अछूते नहीं हैं
गौरतलब है कि कोरोना वायरस से जंग में लॉकडाउन के चलते मानसिक तनाव और पारिवारिक बढ़ा है। मनोरोग चिकित्सक और मनोवैज्ञानिकों के पास सलाह लेने के लिए आने वाली फोन कॉल में 50 फीसदी से ज्यादा घरों में कैद ऐसे पुरुषों के हैं जो डिप्रेशन के शिकार हो गए हैं। लॉकडाउन के चलते बिजनस, नौकरी, बचत और यहां तक कि मूलभूत संसाधन खोने के डर से लोगों में चिड़चिड़ापन, गुस्सा और नेगेटिव विचार हावी हो रहे हैं। घरेलू विवाद बढ़ रहे हैं तो बच्चे भी अछूते नहीं हैं। लॉकडाउन की अवधि लंबी होने के चलते घरों में कैद लोगों के दिनचर्या में बदलाव का असर मनोविकार के रूप में सामने आने लगा है।