-
Advertisement
Lohri | History | Celebration |
Last Updated on January 6, 2022 by Deepak
ऐसा कहा जाता है कि पूर्वजों द्वारा ठंड से बचने के लिए एक मन्त्र जपा गया था. इस मन्त्र के द्वारा सूर्य से प्रार्थना की गई थी कि वह पौष माह में अपनी किरणों से पृथ्वी को इतनी गर्मी प्रदान करे कि पौष माह की ठंड किसी भी व्यक्ति को नुकसान न पहुंचा सके. वे लोग इस मन्त्र को पौष माह की अंतिम रात्रि को अग्नि के सामने बैठकर बोलते थे. जिसका भावार्थ यही होता था कि सूर्य ने उन्हें ठंड से बचा लिया है. लोहड़ी एक तरह से सूर्य के प्रति आभार प्रकट करने के लिए हवन की अग्नि कही जा सकती है. ऐसा माना जाता है कि तभी से लोहड़ी के पर्व की शुरूआत हुई.