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कबाड़ में बेची गईं संविधान की पहली प्रति छापने वाली प्रिंटिंग मशीनें, जानें कितना दाम मिला
Last Updated on January 25, 2020 by
देहरादून। पहली बार देश का संविधान (Constitution) छापने वाली दो लिथोग्राफ मशीनें (Machine) कबाड़ के भाव में बेच दी गईं। देहरादून स्थित सर्वे ऑफ इंडिया ने बताया है कि संविधान की पहली प्रति छापने वाली मशीनों- सॉवरिन और मोनार्क को पिछले साल 1.5 लाख रुपए में कबाड़ में बेच दिया गया था। सर्वेयर जनरल ऑफ इंडिया लेफ्टिनेंट जनरल गिरीश कुमार (रिटायर्ड) ने बताया, ‘इन मशीनों का इस्तेमाल महंगा पड़ता था, ये धीमी थीं और इनकी टेक्नोलॉजी भी आउटडेटेड हो चुकी थी।’
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देहरादून स्थित सर्वे ऑफ इंडिया में ही 1955 में हमारे संविधान की प्रथम 1000 प्रतियां छापी गई थीं। इसके बाद इन प्रतियों को दिल्ली भेज दिया गया था। देहरादून की सर्वे ऑफ इंडिया ने हाथ से तैयार संविधान के शुरूआती Photolithographic Reproduction की एक कॉपी को तो संभाल कर रखा है, लेकिन जिन दो मशीनों पर इन्हें छापा गया था उसे पिछले साल कबाड़ में बेच दिया है। सर्वे ऑफ इंडिया के अधिकारियों के मुताबिक, संविधान को छापने के लिए जिन लिथोग्रैफिक प्लेट्स का इस्तेमाल हुआ था, उन्हें पहले ही नीलाम किया जा चुका है। सॉव्रिन और मोनार्क नामक इन दोनों प्रिंटिंग मशीन के मॉडल का निर्माण क्रैबट्री कंपनी ने किया था।