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नई दिल्ली। प्रेमी से शादी करने के लिए अपने ही परिवार के सात लोगों की जान लेने वाली शबनम (Shabnam) की फांसी रोकने के लिए मांग उठने लगी है। इसके लिए पहली मांग अयोध्या से उठी है। तपस्वी छावनी के महंत परमहंस दास (Mahant Paramhans Das) ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से अपील की है कि वे शबनम की फांसी की सजा को माफ की जाए। महंत का कहना है कि देश की आजादी के बाद आज तक किसी महिला को फांसी नहीं दी गई। यदि शबनम को फांसी दी जाती है तो यह पहला मामला होगा। उनका मानना है कि एक महिला को फांसी दिए जाने से देश को दुर्भाग्य और आपदाओं का सामना करना पड़ सकता है।
महंत ने कहा कि ‘हिंदू शास्त्रों में नारी का स्थान पुरुष से बहुत ऊपर है। एक नारी को मृत्युदंड दिए जाने से समाज का कोई भला नहीं होगा। उल्टे इससे दुर्भाग्य और आपदाओं को न्योता मिलेगा।’ महंत ने कहा कि यह सही है कि उसका अपराध माफ किए जाने योग्य नहीं है, लेकिन उसे महिला होने के नाते माफ किया जाना चाहिए। महंत परमहंस दास ने कहा कि ‘हिंदू धर्मगुरु होने के नाते मैं राष्ट्रपति (President) से अपील करता हूं कि माफी के लिए शबनम की याचिका को स्वीकार कर लें। अपने अपराध के लिए वह जेल में प्रायश्चित कर चुकी है। यदि उसे फांसी दी गई तो यह इतिहास का सबसे दुर्भाग्यपूर्ण अध्याय होगा। महंत ने कहा कि देश का संविधान राष्ट्रपति को असाधारण शक्तियां देता है। उन्हें इन शक्तियों का इस्तेमाल क्षमा देने में करना चाहिए।’
गौर हो कि उत्तर प्रदेश के अमरोहा के बाबनखेड़ी गांव की शबनम को अपने ही परिवार के सात लोगों की बेरहमी से हत्या के अपराध में फांसी की सजा दी गई है। शबनम ने 14-15 अप्रैल 2008 की रात को अपने प्रेमी के साथ मिलकर इस जघन्य वारदात को अंजाम दिया। वह जुलाई 2019 से रामपुर की जेल में बंद है। उसकी फांसी की सजा माफ करने के लिए कई लोग आवाज उठा रहे हैं।
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